चंडीगढ़ | कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों से देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष धौंचक का शुक्रवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया.
पंजाब के मोहाली में कर्नल मनप्रीत सिंह के गांव मुल्लांपुर गरीबदास और हरियाणा के पानीपत में मेजर धौंचक के अंतिम संस्कार के दृश्यों ने हर किसी के दिल को छू लिया. हाथ जोड़कर और नम आंखों से कर्नल मनप्रीत सिंह की पत्नी जगमीत कौर ने उन्हें अंतिम विदाई दी.
उनके सात साल के बेटे कबीर सिंह ने सेना की पोशाक पहनकर अपने पिता को सलाम किया. कर्नल मनप्रीत सिंह को पिता की बटालियन में अधिकारी बनने का दुर्लभ गौरव प्राप्त था. उनके परिवार में मां, पत्नी जगमीत ग्रेवाल, एक बेटी और एक बेटा शामिल हैं, जो मोहाली जिले में न्यू चंडीगढ़ के पास रहते हैं.
~ Last Salute to the Bravehearts ~
Hon’ble LG of J&K and #ChinarCorps Cdr along with Chief Secy J&K, Security Advisor to LG, DGP J&K and numerous other dignitaries have laid wreaths at BB Cantt today to pay homage to the Bravehearts, Col Manpreet Singh, SM and Maj Aashish… pic.twitter.com/WKOUO5HY6h
— Chinar Corps🍁 – Indian Army (@ChinarcorpsIA) September 14, 2023
उनकी मां मंजीत कौर ने कहा, “मेरे मन में हमेशा यह डर रहता था कि मेरे बेटे के साथ कुछ अनहोनी न हो जाए और ऐसा ही हुआ.”
उन्होंने कहा, “मेरा कर्नल शहीद हो गया, मेरे दिल का टुकड़ा शहीद हो गया”. मां ने कहा, “मैंने रविवार को दोपहर तीन बजे उससे बात की थी. उसका ट्रांसफर होने वाला था क्योंकि वह चार साल से कश्मीर में था. जब भी मैं उससे घर आने के लिए कहती थी, तो वह कहता मुझे बहुत काम करना है. मैं सारा काम छोड़कर कैसे आ सकता हूं मां?”
कर्नल मनप्रीत सिंह के पिता लखमीर सिंह का 2014 में निधन हो गया था. वह 12 सिख लाइट इन्फैंट्री में नायक थे. पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कर्नल मनप्रीत सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र चढ़ाया और उन्हें श्रद्धांजलि दी.
कर्नल मनप्रीत सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल हुए पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह बहुत दुखद अवसर था और दोनों अधिकारी उनकी रेजिमेंट से थे. यह रेजिमेंट और सेना के लिए बहुत बड़ी क्षति है. हमें उम्मीद है कि जिन लोगों ने अनंतनाग मुठभेड़ को अंजाम दिया है, उन्हें जल्द ही ढेर कर दिया जाएगा.
मेजर धौंचक के पार्थिव शरीर का उनके पैतृक गांव पानीपत में अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान हर आंख नम नजर आई.
23 अक्टूबर 1987 को जन्मे मेजर धौंचक 2013 में सेना में शामिल हुए थे. वह तीन बहनों में अकेले भाई थे और घर में सबसे छोटे थे. उनके परिवार में पत्नी ज्योति और तीन साल की बेटी वामिका हैं.
वह जब सेना में शामिल हुए थे तब एमटेक कर रहे थे. उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के राजौरी में हुई थी. उन्हें 2018 में मेजर के रूप में पदोन्नत किया गया था और फिर से जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया था.
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क/आईएएनएस