गार्मेंट इंडस्ट्री को नए ऑर्डर का इंतजार, 80 फीसदी घटी बिक्री

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प्रतीकात्मक फोटो
The Hindi Post

लुधियाना (पंजाब)/गांधीनगर (नई दिल्ली) | लॉकडाउन खुलने के बाद भी कपड़े की मांग सुस्त रहने से देश के कपड़ा उद्योग में जल्द रिवकरी के आसार नहीं दिख रहे हैं। पहले मजदूरों के पलायन से गार्मेंट व अपेरल कारोबारियों की चिंता बढ़ गई थी, लेकिन अब नया ऑर्डर नहीं मिलने से उनकी परेशानी और बढ़ गई है।

उत्तर भारत में गार्मेंट और होजरी की प्रमुख औद्योगिक नगरी लुधियाना (पंजाब) के कपड़ा कारोबारियों को इस समय मजदूरों और कारीगरों से ज्यादा नए ऑर्डर का इंतजार है। उनका कहना है कि ऑर्डर मिलेंगे तो मजदूर भी मिल जाएंगे और कारीगर भी आ जाएंगे।

दिल्ली के गांधीनगर की स्थिति इससे भी खराब है, जो एशिया के सबसे बड़े रेडीमेड गार्मेंट बाजार के रूप में मशहूर है। कारोबारी बताते हैं कि न तो नया ऑर्डर मिल रहा है और न ही पहले की उधारी ही वसूल हो रही है, जिससे उनकी माली हालत बहुत खराब हो गई है।

दरअसल, कोरोना काल में वस्त्र परिधान की ग्राहकी सुस्त पड़ जाने के कारण कोई रिटेलर नया ऑर्डर देने का जोखिम नहीं उठा रहा है। कारोबारियों की माने तो पहले के मुकाबले रेडीमेट गार्मेंट की बिक्री 80 फीसदी घट गई है।

निटवेअर एंड अपेरल मन्युफैक्च र्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रेसीडेंट सुदर्शन जैन ने आईएएनएस को बताया कि हौजरी व रेडीमेड गार्मेंट की बिक्री पहले के मुकाबले महज 20 फीसदी रह गई है, इसलिए नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिनके पास बचा हुआ स्टॉक है वे पहले उसको निकालेंगे तभी नया ऑर्डर देंगे।

जैन ने कहा कि इस समय लोग महज अंडर गार्मेंट या बहुत जरूरी होने पर ही कपड़े खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के प्रकोप के कारण लोगों का सोशल मूवमेंट नहीं हो रहा है, इसलिए उनको नये कपड़े खरीदने की आवश्यकता नहीं हो रही है। जैन ने कहा कि कोरोना के चलते गर्मी के सीजन की खरीदारी प्रभावित रही है।

कपड़ा उद्योग में मजदूरों व कारीगरों की कमी को लेकर पूछे गए सवाल पर सुदर्शन जैन ने कहा कि जब फैक्टरियों में काम चलेगा तो मजदूर व कारीगर खुद लौट आएंगे। इसलिए श्रमिकों की समस्या उतनी बड़ी नहीं है जितनी बिक्री में आई गिरावट है।

गांधीनगर के गार्मेंट कारोबारी हरीश कुमार ने बताया कि इस समय रेडीमेड गार्मेंट में न तो घरेलू मांग है और न निर्यात मांग। उन्होंने कहा कि न तो नया ऑर्डर मिल रहा है और न ही बकाये पैसे की वसूली हो रही है, जिसके चतले वित्तीय हालत खराब हो गई है। हरीश कुमार ने कहा कि बैंक से भी कर्ज नहीं मिल रहा है।

गांधीनगर स्थित रामनगर रेडिमेड गार्मेंट मर्चेंट एसोसिएशन के प्रेसीडेंट एस.के. गोयल ने कहा कि आलम यह है कि कारोबारी दुकान खोलते हैं लेकिन ग्राहक नहीं होने की वजह से जल्द ही बंद कर देते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय रेडीमेड गार्मेंट में बमुश्किल से 20-25 फीसदी ग्राहकी है।

कान्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के पूर्व चेयरमैन संजय जैन के मुताबिक, देश में कृषि के बाद सबसे रोजगार देने वाला अगर कोई क्षेत्र है तो वह वस्त्र व परिधान का उद्योग है, जिसमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से करीब 10 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। इस तरह कपड़ा उद्योग के बेपटरी होने से भारी तादाद में श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।

आईएएनएस


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