यूपी : वाहनों के लिए पसंदीदा रजिस्ट्रेशन नंबर लेने की राजनेताओं में मची रहती है होड़

The Hindi Post

लखनऊ | राजनीति में आंकड़ों की अहम भूमिका होती है और यह बात हर राजनेता जानता है. हालांकि, कुछ राजनीतिक नेताओं में खास नंबरों की होड़ लगी होती है. खासकर तब, जब वाहनों के पंजीकरण और टेलीफोन नंबरों की बात आती है. राज्य के अधिकतर हिस्सों में, राजनेताओं की पहचान उनके वाहनों के पंजीकरण नंबरों से होती है. पंजीकरण सीरीज में बदलाव होने पर भी संख्या वही रहती है. वाहनों का रंग भी वही रहता है.

बसपा के पूर्व सांसद और जद (यू) के नवनियुक्त राष्ट्रीय सचिव धनंजय सिंह के एसयूवी का पंजीकरण नंबर 9777 है. उनके पास फॉर्च्यूनर, स्कॉर्पियो, सफारी के अलग-अलग मॉडल हैं, लेकिन सभी गाड़ियों का एक ही नंबर है और सभी काले रंग की है.

पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के काफिले में टॉप रेंज की एसयूवी गाड़ियों का पंजीकरण नंबर 0001 है और उनके अधिकतर वाहनों का रंग सफेद हैं.

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दूसरी ओर, भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के वाहनों का पंजीकरण नंबर 9000 है. उनके सभी वाहनों का नंबर एक ही है.

भाजपा विधायक सुशील सिंह, जो माफिया डॉन बृजेश सिंह के भतीजे हैं, अपनी कारों के लिए 0001 नंबर पसंद करते हैं और उनको गाड़ियों का काला रंग पसंद है.

अयोध्या के गोसाईंगंज से सपा विधायक अभय सिंह के पास एसयूवी का बेड़ा है, जिनका पंजीकरण नंबर 7273 है. उनके सभी वाहन काले रंग के हैं.

Dhnanjay Singh (1)

सुल्तानपुर से पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह, अपने सभी वाहनों के लिए 0001 पंजीकरण नंबर पसंद करते हैं. उनकी सभी गाड़ियों का रंग सफेद है.

पुलिस कांस्टेबल से माफिया डॉन बनने वाले अजय सिपाही अपने वाहनों के लिए 7272 नंबर चुनते हैं.

जेल में बंद डॉन और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की कारों के नंबरों में 786 नंबर जरुर होता है.

अपनी पसंद के पंजीकरण नंबर पाने के लिए इन नेताओं को पर्याप्त राशि का भुगतान करना पड़ता है. 0001 के लिए 5 लाख रुपये, 0 से पहले एकल अंकों की संख्या के लिए 3 लाख रुपये.

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आईएएनएस से बात करते हुए एक राजनेता ने कहा, “मैं अपने ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद अपना वाहन नंबर चुनता हूं. चूंकि नंबर मेरे लिए भाग्य के लिए है, इसलिए मुझे अतिरिक्त पैसे देने में कोई दिक्कत नहीं है.”

परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजनेताओं के लिए वाहनों के लिए फैंसी नंबर मांगना आम बात है.

उन्होंने कहा, “हमें अनुरोध मिलते हैं और इसमें कोई समस्या नहीं होती क्योंकि वे निर्धारित राशि का भुगतान करने को तैयार होते हैं. वास्तव में, कुछ राजनेता वाहन खरीदने के लिए तब तक इंतजार करना पसंद करते हैं जब तक कि उनका पसंदीदा पंजीकरण नंबर उपलब्ध नहीं हो जाता.”

आईएएनएस


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