भिड़ गए पाकिस्तान और अफगानिस्तान, हुई हिंसक झड़प, तालिबानी सैनिकों ने किया भारी हथियारों का इस्तेमाल

सांकेतिक तस्वीर (क्रेडिट: आईएएनएस)

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इस्लामाबाद | पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर पर जारी तनाव बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच गया है. दोनों पक्ष डुरंड लाइन को पार कर एक दूसरे के क्षेत्र पर हमला बोल रहे हैं. एक बार फिर से डुरंड लाइन विवाद सिर उठा सकता है.

अफगान मीडिया के मुताबिक रूस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने रविवार को एक बयान में कहा कि मॉस्को ‘पाकिस्तान-अफगान सीमा’ पर बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है और वह दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील करता है.

जखारोवा ने कहा, “हम संबंधित पक्षों से संयम बरतने और रचनात्मक वार्ता करने की अपील करते हैं जिसका उद्देश्य सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना है.”

इससे पहले शनिवार को सीमा चौकियों पर हुए भीषण संघर्ष में 19 पाकिस्तानी सैनिक और तीन अफगान नागरिकों की मौत हो गई थी.

अमू टीवी के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने स्वीकार किया है कि तालिबान ने सीमा के पास बनी पाकिस्तानी चौकियों पर भारी हथियारों से गोलीबारी.

पाकिस्तान की सेना ने कहा कि उसकी सेना ने जवाबी गोलीबारी की जिसमें 15 से अधिक आतंकवादी मारे गए और तालिबान लड़ाकों को काफी नुकसान पहुंचा.

हालांकि, तालिबान ने अलग दावा किया कि यह हमला अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में हाल ही में हुए पाकिस्तानी हवाई हमलों का जवाब था. तालिबान के अनुसार, बरमल जिले में शरणार्थी शिविर को निशाना बनाकर किए गए उन हमलों में महिलाओं और बच्चों सहित 46 लोग मारे गए.

कभी एक दूसरे के गहरे दोस्त रहे तालिबान और इस्लामाबाद के बीच खूनी झड़पे हो रही है. इस्लामाबाद और काबुल के बीच दुश्मनी की सबसे बड़ी वजह तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी या पाकिस्तानी तालिबान) है.

टीटीपी का उद्देश्य पाकिस्तान सरकार को उखाड़ फेंकना है.

हाल के दिनों में इस्लामाबाद ने अफगान सरकार पर सशस्त्र समूहों, विशेष रूप से टीटीपी को पनाह देने का आरोप लगाया है. हालांकि काबुल इस आरोप को खारिज करता रहा है.

इस संघर्ष की वजह से एक बार फिर डूरंड लाइन विवाद बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है.

डूरंड लाईन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच लगभग 1,600 मील (2,600 किमी) तक फैली हुई है. यह पश्चिमी छोर पर ईरान की सीमा पर और पूर्वी छोर पर चीन की सीमा पर समाप्त होती है. इसे 1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के अमीरात के बीच सीमा के रूप में स्थापित किया गया था. इसका नाम सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया था. वह भारत की औपनिवेशिक सरकार के विदेश सचिव थे.

हालांकि डूरंड लाइन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा के रूप में मान्यता प्राप्त है, लेकिन अफगानिस्तान ने इसे कभी भी पूरी तरह से नहीं स्वीकार किया. वर्ष 2017 में, सीमा पार तनाव के बीच, पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा था कि अफगानिस्तान डूरंड लाइन को दोनों देशों के बीच सीमा के रूप में “कभी मान्यता नहीं देगा.”

Reported By: IANS, Edited By: Hindi Post Web Desk

 


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