Sheena Bora Murder Case: इंद्राणी मुखर्जी का दावा, उनकी बेटी शीना बोरा ज़िंदा है और कश्मीर में है

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इन्द्राणी मुख़र्जी (फाइल फोटो | आईएएनएस)
The Hindi Post

मुंबई | पूर्व मीडिया हस्ती और हत्या की आरोपी इंद्राणी मुखर्जी ने एक अजीबोगरीब घटनाक्रम में दावा किया है कि उनकी बेटी शीना बोरा, जिसकी साल 2012 में हत्या कर दी गई थी, वह जाहिर तौर पर जिंदा है और इस समय कश्मीर में है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक को लिखे अपने पत्र में उन्होंने तर्क दिया है कि वह भायखला महिला जेल में एक महिला से मिलीं, जिसने उन्हें बताया कि वह कश्मीर में उनकी बेटी से मिली थी। इंद्राणी ने जांच एजेंसी से आग्रह किया कि वह कश्मीर में शीना की तलाश करवाए।

हालांकि, इंद्राणी की वकील सना आर. खान ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उनके पास इस बात का कोई ब्योरा नहीं है कि अगस्त, 2015 से जेल में बंद उनके मुवक्किल (इंद्राणी) ने पत्र में वास्तव में क्या लिखा है।

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हालांकि सीबीआई ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। साढ़े छह साल पहले इंद्राणी मुखर्जी के ड्राइवर श्यामवर राय की गिरफ्तारी के साथ सनसनीखेज हत्या का सामने आया था। राय ने ही शीना बोरा की हत्या का राज खोला था।

इसके बाद, मुंबई पुलिस और सीबीआई ने इंद्राणी मुखर्जी के पूर्व पति संजीव खन्ना और उनके दूसरे पति और मीडिया टाइकून पीटर मुखर्जी को गिरफ्तार किया था, जबकि राय को जून, 2016 में मामले में सरकारी गवाह बनने के बाद माफ कर दिया गया था।

अलग-अलग जेलों में रहने के दौरान इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी का अक्टूबर 2019 में आपसी सहमति से तलाक हो गया था।

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जहां इंद्राणी मुखर्जी की जमानत याचिकाओं को विभिन्न अदालतों ने खारिज कर दिया है, वहीं पीटर मुखर्जी को फरवरी 2020 में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी।

शीना इन्द्राणी की बेटी थी। शीना के पिता का नाम सिद्धार्थ दास है जो इन्द्राणी के लिव-इन पार्टनर थे।

पहले इंद्राणी मुखर्जी की छोटी बहन मानी जाने वाली शीना अपने सौतेले भाई राहुल के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में थी, जो पीटर मुखर्जी के छोटे बेटे हैं और अपनी पूर्व पत्नी के साथ देहरादून में रहते हैं।

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अगस्त 2015 में एक अन्य मामले में पकड़े जाने के बाद राय ने पुलिस को जो बयान दिया था, उसके अनुसार, 24 अप्रैल, 2012 को 24 वर्षीय शीना बोरा की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर एक सूटकेस में डालकर रायगढ़ के जंगल में ले जाकर जला दिया गया था।

पिछले छह वर्षो में सीबीआई आरोपियों के खिलाफ कई आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। मुकदमा साल 2017 में शुरू हुआ था, जिसमें लगभग 60 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं।

आईएएनएस

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