‘फ्लाइंग बुलेट्स’ सेना में शामिल, वायुसेना प्रमुख ने तेजस से भरी उड़ान

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फोटो : इंडियन एयरफोर्स/ट्विटर
The Hindi Post

नई दिल्ली | भारतीय वायुसेना प्रमुख मार्शल आर.के.भदौरिया ने बुधवार को हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस फाइटर को तमिलनाडु के कोयम्बटूर के पास सुलुर वायुसेना स्टेशन में 45 स्क्वाड्रन के साथ उड़ाया। कोविड-19 के प्रकोप के बाद से भारतीय वायुसेना के लिए यह पहला बड़ा आयोजन है। इसके साथ वायुसेना प्रमुख ने भारतीय वायुसेना के 18 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग बुलेट’ का संचालन भी शुरू किया। स्क्वाड्रन एलसीए तेजस विमान से पूर्ण परिचालन क्षमता (फुल ऑपरेशनल केपेबिलिटी) से लैस है और एलसीए तेजस को उड़ाने वाला दूसरा आईएएफ स्क्वाड्रन है।

18 स्क्वाड्रन में 16 फाइटर्स और 4 प्रशिक्षकों के साथ एफओसी संस्करण में 20 जेट होंगे।

18 स्क्वाड्रन का गठन 15 अप्रैल, 1965 को ‘तीव्र और निर्भया’ के मोटो के साथ किया गया था। स्क्वाड्रन को इस साल 1 अप्रैल को सुलुर में पुनर्जीवित किया गया था।

इस स्क्वाड्रन ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया था और फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों को मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ से अलंकृत किया गया था।

तेजस चौथी पीढ़ी का स्वदेशी टेललेस कंपाउंड डेल्टा विंग विमान है।

विमान फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, इंटीग्रेटेड डिजिटल एवियोनिक्स, मल्टीमोड रडार से सुसज्जित है और इसकी संरचना कंपोजिट मटैरियल से बनी है।

यह चौथी पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के अपने समूह में सबसे हल्का और सबसे छोटा है।

कई एडवांस टेक्नोलॉजी को तेजस एफओसी में शामिल किया गया है, जिसमें फाइटर को एक शक्तिशाली मंच बनाने के लिए एयर-टू-एयर ईंधन भरने और बियांड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल सिस्टम को शामिल किया गया है।

भारतीय वायुसेना पहले से ही 45 स्क्वाड्रन में इनिशियल ऑपरेशन क्लियरेंस (आईओसी) में 20 तेजस जेट्स उपयोग कर रही है।

आईएएनएस


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