जानिए क्यों नागर विमानन महानिदेशालय ने इंडिगो एयरलाइन्स पर लगाया पांच लाख का जुर्माना

सांकेतिक तस्वीर

The Hindi Post

नई दिल्ली | नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) ने रांची एयरपोर्ट पर गत सात मई को एक दिव्यांग बच्चे को विमान में नहीं चढ़ने देने के मामले में विमानन कंपनी इंडिगो पर शनिवार को पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया। डीजीसीए ने विमानन कंपनी पर जुर्माना लगाते हुए कहा कि इंडिगो के ग्राउंड स्टाफ का बच्चे को शांत करने का तरीका सही नहीं था और उसकी वजह से स्थिति और बिगड़ गई।

डीजीसीए ने नोट में कहा है कि अगर बच्चे के साथ अधिक प्यार से पेश आया जाता तो वह शांत हो सकता था। इससे इंडिगो को सख्त कदम नहीं उठाना पड़ता और उसे पैसेंजर को बोर्डिग करने से मना भी नहीं करना पड़ता।

नोट में कहा गया है कि विशेष परिस्थितियों में विशेष कदम उठाने पड़ते हैं, लेकिन विमानन कंपनी के कर्मचारी इस स्थिति में सही कदम उठाने में असक्षम रहे और ऐसा करने में उन्होंने प्रक्रियाओं में चूक की।

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भविष्य में इस तरह की घटना न हो, इस मकसद के साथ डीजीसीए ने नियमों में जरूरी बदलाव लाने का निर्णय लिया है।

डीजीसीए ने साथ ही पैसेंजर की बोर्डिग के मामले में विमान के कमांडर की राय और पैसेंजर के स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में एयरपोर्ट डॉक्टर की लिखित सलाह जरूरी कर दी है।

डीजीसीए के एक पैनल ने इस घटना के परिप्रेक्ष्य में इंडिगो के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला लिया था और मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था।

गौरतलब है कि गत सात मई को रांची एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइन्स के कर्मचारियों ने रांची से हैदराबाद जाने वाले विमान में एक दिव्यांग बच्चे को नहीं चढ़ने दिया था। विमानन कंपनी का तर्क था कि वह बच्चा दहशत में था। विमान में बच्चा और उसके माता-पिता सवार नहीं हो पाए थे।

डीजीसीए ने इंडिगो को 26 मई तक लिखित जवाब देने और निजी रूप से अपना पक्ष करने का मौका दिया था।

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इंडिगो के स्टाफ की इस हरकत की नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कटु आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह के बर्ताव को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा था कि किसी भी इंसान को इस तरह की स्थिति से गुजरना नहीं चाहिए और वह खुद इस मामले की जांच करेंगे।

हालांकि, इंडिगो के सीईओ रंजोय दत्ता ने कहा था कि पूरे मामले की समीक्षा के बाद कंपनी को लगता है कि उसने कठिन परिस्थितियों में सबसे बेहतर निर्णय लिया।

आईएएनएस

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