किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 में संशोधन को मंजूरी
नई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों के हितों को सुनिश्चित करने व बाल संरक्षण व्यवस्था को मजबूत बनाने के उपायों को सुनिश्चित करने के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के किशोर न्याय (देखभाल और बाल संरक्षण) विधेयक 2015 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। संशोधन में मामलों के तेजी से निपटारा सुनिश्चित करने तथा जवाबदेही बढाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट तथा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने का आदेश जारी करने का अधिकार दिया गया है।
जिला मजिस्ट्रेट को अधिनियम के तहत और अधिक सशक्त बनाते हुए कानून के सुचारू क्रियान्यवन का भी अधिकार दिया गया है, जिससे संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयास किए जा सकें।
सीडब्ल्यूसी सदस्यों की नियुक्ति संबंधी योग्यता मानदंडों को परिभाषित करने और पहले से अनिर्धारित अपराधों को ‘गंभीर अपराध’ के रूप में वर्गीकृत करने की भी बात विधेयक के प्रस्ताव में कही गई है। कानून के विभिन्न प्रावधानों पर अमल में आने वाली दिक्कतों को भी दूर किया गया है।
यह महिला और बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) का एक प्रस्ताव था, जिसमें बच्चों की तस्करी, बाल श्रम और अन्य मुद्दों का सामना करने वाले बच्चों को संरक्षण देने के लिए मौजूदा अधिनियम में संशोधन की मांग की गई थी।
प्रस्ताव के कुछ अन्य पहलुओं के अलावा जिला मजिस्ट्रेटों को इस अधिनियम के तहत और अधिक सशक्त बनाया गया है ताकि इसके सुचारु क्रियान्वयन के साथ-साथ संकट में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयासों को बढ़ावा दिया जा सके।
इस कदम की घोषणा करते हुए, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, “यह बच्चों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम है।”
-आईएएनएस