तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार यूपी

फोटो: आईएएनएस (सांकेतिक तस्वीर)

The Hindi Post

लखनऊ | कोरोना की तीसरी लहर आने के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने महामारी से निपटने के लिए अपने सुरक्षा कवच को अपग्रेड करना शुरू कर दिया है।

दूसरी लहर के दौरान कोविड प्रबंधन के लिए आलोचना का सामना करने के बाद, योगी आदित्यनाथ सरकार इस बार कोई चूक नहीं करना चाहती है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को लखनऊ, गोरखपुर, झांसी, गाजियाबाद और एसजीपीजीआईएमएस के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में जीनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने कहा, राज्य के कई संस्थानों में कोविड-19 वैरिएंट की सटीक पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग की जा रही है। मामलों में वृद्धि को देखते हुए जीनोम सीक्वेंसिंग के साधनों को बढ़ाना जरूरी है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि सभी जिलों में स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

उन्होंने लोगों से कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है और एहतियात सबसे अच्छा प्राथमिक उपचार है, इसलिए लोगों को एसएमएस (स्वच्छता, मास्क और सामाजिक दूरी) के मंत्र का पालन करना चाहिए।

राज्य सरकार ने राज्य के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, निजी, ट्रस्ट, संस्थानों, कंपनियों, शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों और औद्योगिक इकाइयों में तत्काल प्रभाव से कोविड-19 हेल्प डेस्क को पहले ही सक्रिय कर दिया है।

राज्य के सभी जिलों में स्थापित इंटीग्रेटेड कोविड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) को भी सक्रिय कर दिया गया है और स्थिति पर नियमित बैठक की जा रही है।

यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा, हमने पहली और दूसरी लहर के दौरान अपने चिकित्सा बुनियादी ढांचे को पहले ही अपग्रेड कर दिया था। पूरी प्रणाली को लागू कर दिया गया था और अब हम इसे फिर से सक्रिय कर रहे हैं।

जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में पर्याप्त कोविड वार्ड हों ताकि मरीज समय पर चिकित्सा देखभाल से वंचित न रहें।

मंत्री ने कहा, ऑक्सीजन संयंत्र भी सक्रिय हैं और समय पर शुरू होने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने आगे कहा कि निगरानी समितियों ने अब तक महामारी के खिलाफ लड़ाई में प्रभावी भूमिका निभाई है। इन्हें सक्रिय कर घर-घर जाकर टीकाकरण की स्थिति का सर्वेक्षण किया जा रहा है और बाकी लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।

इस बीच, एक निजी अस्पताल में कंस्लटेंट वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आर. के. मिश्रा ने कहा, सिस्टम की प्रभावशीलता की सही परीक्षा तभी होगी जब स्थिति पैदा होगी। अभी ओमिक्रॉन के केवल एक प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है, जबकि अन्य होम आइसोलेशन में हैं। जिस तरह से लग रहा है, हम चिकित्सा उपकरण, बिस्तर, ऑक्सीजन आदि के मामले में तैयार हैं।

हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी चिंता का कारण बनी हुई है।

एक सेवानिवृत्त सरकारी डॉक्टर ने कहा, ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अभी भी डॉक्टरों की कमी का सामना कर रहे हैं। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टरों को तुरंत एडहॉक आधार पर नियुक्त किया जाना चाहिए।

आईएएनएस

हिंदी पोस्ट अब टेलीग्राम (Telegram) और व्हाट्सप्प (WhatsApp) पर है, क्लिक करके ज्वाइन करे


The Hindi Post
error: Content is protected !!