केंद्र के 2016 के नोटबंदी फैसले को न्यायमूर्ति नागरत्न ने बताया ‘गैरकानूनी’
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सोमवार (2 जनवरी 2023) को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को वैध करार दिया और सभी 58 याचिकाएं खारिज कर दी.
इन याचिकाओं पर सुनवाई 5 न्यायमूर्तियों की बेंच ने की. पांच न्यायमूर्तियों में से चार ने नोटबंदी को वैध करार दिया. जबकि एक जस्टिस ने अपनी असहमति जताई. वो जस्टिस, जिनकी राय बाकी 4 न्यायमूर्तियों से अलग थी, उनका नाम है – बीवी नागरत्ना.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि नोटबंदी में दोष था और नोटंबदी का फैसला गैरकानूनी था.
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने 124 पन्नों के फैसले को लिखते हुए कहा, “मेरा मानना है कि अधिनियम (आरबीआई अधिनियम) की धारा 26 की सब-धारा (2) के तहत जारी की गई 8 नवंबर 2016 की अधिसूचना गैरकानूनी है.”
उन्होंने कहा कि 500 और 1,000 रुपये के सभी करेंसी नोटों को बंद करने की कार्रवाई गलत है.
उन्होंने कहा कि केंद्र 8 नवंबर, 2016 की गजट अधिसूचना जारी करने में आरबीआई अधिनियम की धारा 26 की उप-धारा (2) के तहत शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता था.
उन्होंने घोषणा की कि विमुद्रीकरण (नोटबंदी) की कवायद गैरकानूनी थी, क्योंकि (इसका) प्रस्ताव (नोटबंदी) केंद्र द्वारा शुरू किया गया था न कि भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड द्वारा.
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क
(इनपुट्स: आईएएनएस)