फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हिजाब का मामला, मुख्य न्यायाधीश ने कहा ….
नई दिल्ली | मुंबई के एक कॉलेज की मुस्लिम लड़कियों ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इन लड़कियों ने विशेष अनुमति याचिका दायर की है. बता दें कि हाईकोर्ट ने हिजाब, घूंघट, स्टोल, टोपी आदि पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी.
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि उन्होंने मामले की सुनवाई के लिए पीठ को नियुक्त किया है और इसे जल्द ही निपटान के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.
अधिवक्ता अबीहा जैदी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “हिजाब पहनने पर प्रतिबंध मुस्लिम छात्राओं के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा देता है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है.”
उन्होंने कहा, ”हिजाब पहनने पर प्रतिबंध, अनुशासन लागू करने की आड़ में उत्पीड़न और भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है.”
26 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंडपीठ ने मुस्लिम छात्राओं की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वे चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी (सीटीईएस) के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते.
याचिकाकर्ताओं (लड़कियों) ने तर्क दिया था कि कॉलेज द्वारा लागू किया गया नया ड्रेस कोड उनकी निजता, सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
बता दें कि अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों की कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा हिजाब पहनने पर प्रतिबंध की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विभाजित फैसला सुनाया था और मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भेजे जाने की बात कही थी.
आईएएनएस/हिंदी पोस्ट वेब डेस्क