मणिपुर में इंसानियत तार-तार: हथियारबंद उपद्रवियों ने स्वतंत्रता सेनानी की 80 साल की पत्नी को जिंदा जलाया

सांकेतिक तस्वीर (क्रेडिट: आईएएनएस)
इम्फाल | मणिपुर के कांगपोकपी जिले में 4 मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना का वीडियो सामने आने के बाद अब एक और सनसनीखेज जातीय हिंसा का मामला सामने आया है. काकचिंग जिले में हथियारबंद उपद्रवियों ने एक स्वतंत्रता सेनानी की 80 साल की पत्नी को उनके घर में बंदकर के जिंदा जला दिया.
उनके पति एस चुराचंद सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे. उनकी मृत्यु 80 साल की उम्र में हुई थी.
मेइती समुदाय की एस. इबेटोम्बी मैबी देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले एस. चुराचंद सिंह की पत्नी थी. सेरोउ थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, राजधानी इम्फाल से 48 किमी दूर स्थित सेरोउ गांव में 28 मई को उपद्रवियों ने उनको घर में बंदकर के उसमें आग लगा दी.
चुराचंद सिंह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी के सदस्य थे. उन्हें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने अप्रैल 1997 में उन्हें नेताजी पुरस्कार प्रदान किया था.
इबेटोम्बी मैबी की जली हुई हड्डियां, घर में आधी जली तस्वीरें, चुराचंद सिंह के मेडल और स्मृति चिह्न, कई कीमती सामान और घरों की दीवारों पर गोलियों के निशान, ढाई महीने पहले राज्य में शुरू हुई हिंसा की भयावहता बयां करती हैं.
इबेटोम्बी मैबी की बहु एस. तम्पकसाना ने कहा, ”जब हथियारों से लैस उपद्रवियों ने हमारे घर पर हमला किया तो मेरी सास ने मुझे और पड़ोसियों को वहां से भाग जाने के लिए कहा. उन्होंने हमसे उपद्रवियों के जाने के बाद आने या किसी और को भेजने लिए कहा ताकि हम उन्हें बचा सकें. उम्रदराज होने के कारण वह भाग नहीं सकती थी. मैं और पड़ोस के तीन परिवार भाग निकले थे.”
तम्पकसाना ने कहा, “घर पर हमला होने के कुछ घंटो बाद मैंने अपनी सांस इबेटोम्बी मैबी के रिश्तेदार 22 वर्षीय प्रेमकांत मेइती से उन्हें सकुशल वहां से निकाल के लाने के लिए कहा.”
मेइती ने कहा कि जब वह और कुछ अन्य लोग मौके पर पहुंचे तो देखा कि आग ने पूरे घर को अपनी चपेट में ले लिया था और बुजुर्ग महिला की जलकर मौत हो गई थी. मेइती ने कहा कि हम सब को वहां से तुरंत भागना पड़ा क्योंकि हमलावरों ने फिर से गोलीबारी शुरू कर दी थी.
तंपकसाना ने 28 मई के हमले के बारे में कहा कि हमले से घबराकर उन्होंने स्थानीय विधायक के घर में शरण ली थी. “स्थानीय विधायक का घर हमला होने वाली जगह से दो किलोमीटर दूर था. यहां तक हम भाग कर पहुंचे थे.”
राज्य में घाटी स्थित मेइती और कुकी-ज़ो आदिवासियों के बीच जातीय हिंसा के दौरान सेरोउ गांव सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था.
गाँव से थोड़ी दूरी पर, स्थानीय सेरोउ गाँव का बाज़ार अब एक भूतिया क्षेत्र जैसा दिखता है.
गांव में रहने वाले सभी स्थानीय व्यापारी वहां से भाग गए हैं और सब ने राहत शिविरों में शरण ली है. इससे इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ है.
मेइती समुदाय की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया जाए. राज्य में भड़की हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, विभिन्न समुदायों के 600 से अधिक लोग घायल हो गए हैं और 70,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में संपत्तियों और वाहनों को नष्ट कर दिया गया है.
आईएएनएस