मध्य प्रदेश चुनाव 2023: क्या हो सकते है कांग्रेस के हार के कारण?, कितनी सीटों पर समाजवादी पार्टी लड़ी MP में चुनाव

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Photo: IANS
The Hindi Post

मध्य प्रदेश में भाजपा बड़ी चुनावी जीत की ओर बढ़ रही है. वही कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. ऐसे में वो क्या कारण है जिसकी वजह से कांग्रेस हार रही है उस पर नजर डालते है.

दरअसल, समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल नहीं बिठाने और मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का मुद्दा उठाने से लगता है कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ है.

चुनाव आयोग के मुताबिक, दोपहर 12.50 बजे तक मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से बीजेपी 162 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 65 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.

समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की मांग की थी और उससे (कांग्रेस) छह सीटें देने को कहा था. लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने सपा के साथ गठबंधन नहीं किया.

कांग्रेस के इनकार के बाद, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उसे स्वार्थी करार दे डाला था.

इसके बाद सपा ने मध्य प्रदेश में 69 उमीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया था. बाद में तीन उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया था.

अब ऐसा लगता है कि सपा उम्मीदवारों ने उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे मध्य प्रदेश के जिलों में कांग्रेस को चोट दी है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने OBC का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. बता दे कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले से ही मध्य प्रदेश में इस समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं.

राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर जाति-आधारित जनगणना का वादा किया था, पार्टी नेताओं ने राज्य में उनका अनुसरण किया.

चौहान भावनात्मक रूप से महिला मतदाताओं से यह कहकर जुड़े हुए थे कि उनके जाने के बाद (सत्ता से हटने के बाद) वे उन्हें याद करेंगी. यह कह कर चौहान मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रहे.

राज्य सरकार पर 50 फीसदी भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कर्नाटक की तर्ज पर शिवराज सिंह चौहान और भाजपा पर निशाना साधना मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ गया.

कांग्रेस ने राज्य में हर महिला को 1,500 रुपये प्रति माह देने की गारंटी दी थी लेकिन चौहान के नेतृत्व वाली सरकार की ‘लाडली बहना’ योजना भारी पड़ी.

पार्टी के कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि कमल नाथ पर अत्यधिक निर्भरता कांग्रेस के लिए महंगी साबित हुई है.

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की जनता से 11 वादे किए थे. इनमें पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करना, 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर, 100 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह आदि शामिल हैं.

कांग्रेस ने राज्य में आक्रामक अभियान चलाया था और पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी.

हिंदी पोस्ट वेब डेस्क
(इनपुट्स: आईएएनएस)

 


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