कैसे जीती कांग्रेस कर्नाटक का किला, सामने आया कारण

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फोटो: आईएएनएस
The Hindi Post

नई दिल्ली | कर्नाटक विधान सभा चुनाव के नतीजों को स्वीकार करते हुए भाजपा अब हार की समीक्षा और इसके मुताबिक पार्टी में बदलाव लाने की बात कह रही है. हालांकि पार्टी के कई नेता यह मान रहे हैं कि कांग्रेस द्वारा बजरंग दल पर बैन लगाने के वादे की वजह से मुस्लिम समुदाय का एकतरफा ध्रुवीकरण कांग्रेस के पक्ष में हुआ, जिसकी वजह से जेडी-एस के वोट बैंक में बहुत ज्यादा गिरावट आई और इस तरह का चुनावी नतीजा सामने आया.

शनिवार को मतगणना शुरू होने के एक घंटे के अंदर ही भाजपा ने यह स्वीकार कर लिया था कि जेडी-एस के वोट कांग्रेस की तरफ ट्रांसफर हो गए हैं और हर गुजरते पल के साथ भाजपा की यह आशंका सही साबित होती नजर आई.

कर्नाटक के ओल्ड मैसूर इलाके को जेडी-एस का गढ़ माना जाता है. इस इलाके में विधान सभा की 55 सीटें हैं और इन सीटों पर जीत-हार का फैसला वोक्कालिगा और मुस्लिम मतदाता ही करते आए हैं और ये दोनों ही समुदाय जेडीएस के ठोस वोट बैंक माने जाते रहे हैं.

लेकिन कांग्रेस द्वारा बजरंग दल पर बैन लगाने के वादे और भाजपा द्वारा इसे बजरंगबली के अपमान से जोड़ने की मुहिम ने मुस्लिम वोट बैंक का ध्रुवीकरण कांग्रेस के पक्ष में कर दिया.

आंकड़े भी यही कहानी बयां करते नजर आ रहे हैं. 2018 के पिछले विधान सभा चुनाव में 18.3 प्रतिशत मत के साथ जेडी-एस ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 38.1 प्रतिशत मत के साथ कांग्रेस को 80 सीटों पर जीत हासिल हुई थी लेकिन इस बार के विधान सभा चुनाव में अब तक आये नतीजों की बात करें तो जेडी-एस के वोट बैंक में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई है और यही 5 प्रतिशत वोट कांग्रेस को ज्यादा मिला है.

जेडी-एस के सबसे मजबूत गढ़ कर्नाटक के ओल्ड मैसूर इलाके की बात करें (जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी-खासी है) तो वहां पार्टी (जेडीएस) की लगभग 15 सीटें घटती दिखाई दे रही हैं और इस इलाके में कांग्रेस को पिछली बार की तुलना में लगभग 17 सीटों का फायदा होता नजर आ रहा है.

By IANS


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