गाजीपुर बॉर्डर से हटाई गई नुकीली कीलें, क्या दूसरी जगह लगेंगी?
गाजीपुर बॉर्डर | काफी फजीहत होने के बाद दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए लगाई गई नुकीसी कीलों को गुरुवार को हटा दिया है। पुलिस ने कहा कि इन्हें दूसरी जगहों पर लगाया जा सकता है। कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद से पुलिस ने सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी थी और कई लेयर की बैरिकेडिंग के साथ नुकीली कीलें भी लगा दी थी, जिसकी मीडिया में काफी फजीहत हुई। विपक्षी दलों ने भी पुलिस पर निशाना साधा। दिल्ली पुलिस ने अब इन कीलों को हटा लिया है।
सुबह करीब 11 बजे इन कीलों को हटा लिया गया। जो लोग ये कीलें हटा रहे थे, उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया, वहीं कर्मचारियों के साथ एक दिल्ली पुकिसकर्मी भी था जो कि इस पूरे मसले पर शांत रहा।
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दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर ने आईएएनएस से बाद में कहा कि, हम इन कीलों को रणनीतिक रूप से दूसरी लोकेशन पर लगाना चाह रहे हैं, इसलिए यहां से हटाया गया है। हमें जिधर जरूरत पड़ेगी हम उधर इन कीलों को लगाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन की तरफ से इन कीलों को हटाने पर कहा गया है कि, ठीक फैसला लिया गया है, किला बन्दी करके वार्ता का माहौल नहीं बन सकता है। देर आए दुरुस्त आए। लेकिन सरकार को इस तरह का कोई फैसला नहीं करना चाहिए, जिससे नागरिकों को ये प्रतीत हो कि हम किसी दूसरे देश के बॉर्डर पर बैठे हैं।
दरअसल गणतंत्र दिवस पर हुई ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद से पुलिस प्रसाशन ने अपनी रणनीतियों में काफी बदलाव किया है। कृषि कानून पर हो रहे दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस ने सुरक्षा में बदलाव करते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया है।
प्रशासन की ओर से बॉर्डर पर बेरिकेड, पत्थर के भारी ब्लॉक्स, कंक्रीट की दीवार खड़ी कर रखी है। वहीं कटीले तारों और जमीन पर नुकीली कीलों को भी लगाया गया। हालांकि गाजीपुर बॉर्डर पर गाजियाबाद की ओर से दिल्ली जाने वाले रास्ते की तरफ से इन्हें हटा लिया गया है।
वहीं विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी पुलिस द्वारा लगाई गई कीलों का विरोध किया था।
हालांकि सुबह किसानों से मिलने के लिए 10 विपक्षी दलों के सांसद गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे थे। लेकिन तारबंदी और बैरिकेडिंग के साथ लगी नुकीली कीलों से वह दिल्ली की सीमा से यूपी गेट तक नहीं पहुंच सके थे।
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