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गुरुग्राम | कोरोना वायरस का डर ज्यादातर लोगों के लिए बीते दिनों की बात हो सकती है लेकिन गुरुग्राम की एक महिला के लिए नहीं. इस महिला ने खुद को और अपने 10 साल के बेटे को कोरोना के डर से घर में कैद कर लिया था. पिछले तीन सालों से दोनों घर में कैद थे. महिला को डर था कि कही उन्हें या उनके बेटे को कोरोना का संक्रमण न हो जाए.
हैरान कर देने वाली यह घटना गुरुग्राम के मारुति कुंज इलाके की है. महिला की पहचान मुनमुन माझी के रूप में हुई है. मंगलवार को पुलिस, स्वास्थ्य और बाल कल्याण विभाग के अधिकारियों ने, मुनमुन और उनके 10 साल के बेटे को रेस्क्यू किया. दोनों को इलाज के लिए गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
बताया जा रहा है कि महिला कोविड-19 से बेहद डरी हुई थी. 2020 में पहली बार लागु हुए लॉकडाउन के हटने के बाद तमाम प्रतिबंधों में ढील दी गई थी. तब महिला के हस्बैंड सुजान माझी जो पेशे से एक इंजीनियर है, जरुरी काम के सिलसिले में घर से बाहर निकले थे. महिला इतना डरी हुई थी कि उन्होंने अपने पति को भी घर में दोबारा प्रवेश नहीं करने दिया. सुजान घर लौट कर तो आए पर उन्हें अंदर प्रवेश नहीं मिला.
उन्होंने शुरुआत के कुछ दिन अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर पर बिताए लेकिन बाद में उन्होंने अपने परिवार के संपर्क में रहने के लिए मारुति कुंज इलाके में एक घर किराए पर ले लिया.
वह वीडियो कॉल के जरिए पत्नी और बेटे के संपर्क में रहते थे. सुजान दोनों की सभी जरूरतों को पूरा किया करते थे. वह उनके घर का मासिक किराया और अपने बेटे की स्कूल की फीस भी भरते थे. साथ ही वो उनके लिए किराने का सामान और सब्जियां खरीदते थे और उन्हें घर के बाहर छोड़ जाते थे. महिला का बेटा ऑनलाइन क्लास लेता था. वो बाहर नहीं जाता था.
सुजान ने अपनी पत्नी को मनाने के कई प्रयास किए लेकिन वो नहीं मानी. न तो वो घर का दरवाजा खोलती थी और न ही उन्हें घर में प्रवेश देती थी. थक-हार कर सुजान ने पुलिस से संपर्क किया और उन्हें अपनी समस्या बताई. इसके बाद पुलिस, स्वास्थ्य और बाल कल्याण विभाग के अधिकारी मुनमुन के घर पहुंचे और उन्हें समझाया. मुनमुन को घर का दरवाजा खोलने को कहा गया पर वो नहीं मानी. अंत में पुलिस ने दरवाजा तोड़ कर घर में प्रवेश किया और मुनमुन और उनके दस वर्षीय बेटे को रेस्क्यू करके अस्पताल पहुंचाया.
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क
(इनपुट्स: आईएएनएस)
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