लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का विरोध: झारखंड सरकार में मंत्री बोले – बढ़ाने की जगह कम करनी चाहिए उम्र

0
563
प्रतीकात्मक इमेज/आईएएनएस
The Hindi Post

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिलाओं की शादी के लिए न्यूनतम कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव बुधवार को पारित किया था। लेकिन अब इस फैसले पर अजीबोगरीब बयान सामने आ रहे है।

इस मामले में समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के बोल बिगड़ गए है।

दैनिक भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई गई तो वह आवारगी करेंगी। उन्होंने कहा कि लड़कियों की शादी जल्दी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह सांसद में इस फैसले के खिलाफ आवाज़ उठायेंगे।

विज्ञापन
विज्ञापन

वही झारखंड सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाफिजुल हसन ने भी अजीब बयान दिया। उनका कहना है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के बजाय कम करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र 16 साल करनी चाहिए। मंत्री ने कहा कि सरकार ने 18 से बढ़ाकर शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करके गलत किया। “मेरे हिसाब से इसको 16 साल करना चहिये था।”

वर्तमान में, पुरुषों के लिए विवाह की कानूनी न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष है।

सूत्रों ने कहा कि लड़कियो की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने का प्रस्ताव जया जेटली की अध्यक्षता वाले नीति आयोग के टास्क फोर्स की सिफारिश पर आधारित था। स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और कानून मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी पिछले साल जून में गठित इस टास्क फोर्स के सदस्य है।

विज्ञापन
विज्ञापन

टास्क फोर्स का गठन, मातृत्व की उम्र, एमएमआर को कम करने की अनिवार्यता (मातृ मृत्यु दर), पोषण स्तर में सुधार और संबंधित मुद्दों से संबंधित मामलों की जांच के लिए किया गया था।

केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाने के नए फैसले को लागू करने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन करेगी।

पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए उनकी सही उम्र में शादी होनी चाहिए।

सूत्रों ने कहा, “टास्क फोर्स ने यह भी सिफारिश की है कि यौन शिक्षा को औपचारिक रूप दिया जाए और स्कूली पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाए।”

हिंदी पोस्ट वेब डेस्क (इनपुट: आईएएनएस)

हिंदी पोस्ट अब टेलीग्राम (Telegram) और व्हाट्सप्प (WhatsApp) पर है, क्लिक करके ज्वाइन करे


The Hindi Post