नाबालिग लड़कियों के अंत:वस्त्र जबरदस्ती उतारना दुष्कर्म के बराबर : कलकत्ता हाईकोर्ट

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कोलकाता हाईकोर्ट (IANS)
The Hindi Post

कोलकाता | कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी नाबालिग लड़की के अंत:वस्त्रों (इनरवियर) को जबरन हटाना दुष्कर्म के बराबर है. हाईकोर्ट ने कहा भले ही आरोपी या दोषी शख्स ने दुष्कर्म नहीं किया हो पर ऐसा करने को दुष्कर्म के बराबर ही माना जाएगा.

न्यायमूर्ति अनन्या बंद्योपाध्याय की एकल पीठ ने यह फैसला उस मामले की सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें रॉबी रॉय को 2008 में पश्चिम दिनाजपुर जिले की एक निचली अदालत ने दोषी करार दिया था.

7 मई, 2007 को रॉय पर एक नाबालिग लड़की को आइसक्रीम देने का वादा करके सुनसान जगह पर ले जाने का आरोप लगाया गया था. वहां उसने पहले तो लड़की को इनरवियर उतारने को कहा. जब लड़की ने मना किया तो उसने जबरदस्ती उसके इनरवियर उतार दिए.

लड़की चिल्लाने लगी. मौके पर लोग आ गए और उन्होंने रॉबी रॉय को जम कर पीटा और पुलिस के हवाले कर दिया. नवंबर 2008 में निचली अदालत ने रॉबी को दोषी माना और उसे उसे साढ़े पांच साल कैद की सजा सुनाई और उस पर 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

जेल से छूटने के बाद रॉबी ने जिला अदालत के आदेश को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए दावा किया कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया था, जिससे उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है. उसने दावा किया कि उसका इरादा लड़की के प्रति पिता जैसा स्नेह प्रकट करना था.

न्यायमूर्ति अनन्या ने हालांकि निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि लड़की को आइसक्रीम खिलाने का रोबी का इरादा गलत था.

उन्होंने कहा, “दोषी (रोबी) ने सिर्फ अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिए पीड़िता को आइसक्रीम खिलाने का लालच दिया था. जब पीड़िता ने रोबी के कहे अनुसार अपने इनरवियर को खोलने से इनकार कर दिया, तो उसने जबरदस्ती इनरवियर उतार दिया. इसे स्नेह की अभिव्यक्ति नहीं माना जा सकता. यह दुष्कर्म के प्रयास के बराबर है.”

हालांकि मेडिकल जांच से साबित हुआ कि नाबालिग लड़की दुष्कर्म की शिकार नहीं हुई थी. न्यायाधीश ने कहा कि पूरी घटना भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत यौन अपराध के बराबर है.

हिंदी पोस्ट वेब डेस्क/आईएएनएस


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