इस देश ने लगाया बुर्के पर “प्रतिबंध”, 1 जनवरी से कानून लागू
नई दिल्ली | बुर्का पहनने पर स्विट्जरलैंड ने “प्रतिबंध” लगा दिया है. 1 जनवरी से यह प्रतिबंध लागू भी हो गया. गुरुवार को भारतीय राजनेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “यह उस देश का अपना निर्णय है और इस फैसले को धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.”
सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर रोक लगाने के आदेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है.
नए स्विस कानून के अनुसार, जो लोग सार्वजनिक रूप से अपना चेहरा ढकते हैं, उन पर 1,000 स्विस फ्रैंक (1,144 डॉलर) तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
क्या कहता है बुर्का बैन कानून?
1 जनवरी से लागू हुआ बुर्का बैन कानून सार्वजनिक जगहों और आम जनता के लिए सुलभ निजी इमारतों में नाक, मुंह और आंखों को ढकने पर प्रतिबंध लगाता है. इस कानून में कुछ अपवाद भी हैं.
यह प्रतिबंध फ्लाइट्स या राजनयिक एवं वाणिज्य दूतावास परिसरों पर लागू नहीं होगा और पूजा और अन्य पवित्र स्थलों पर भी चेहरा ढका जा सकेगा. कानून में यह भी कहा गया कि स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों, स्थानीय रीति-रिवाजों और सर्दी-गर्मी से बचने के लिए चेहरे को ढकने की अनुमति होगी. मनोरंजन और और विज्ञापनों के लिए भी चेहरा ढकने पर पाबंद नहीं रहेगी.
बुर्का बैन कानून में यह भी कहा गया है कि अगर अभिव्यक्ति की आजादी और किसी सभा के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए चेहरा ढकने की जरूरत है तो इसकी अनुमति दी जा सकती है लेकिन इसके लिए पहले संबंधित अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी. अधिकारी को लगेगा कि इससे सार्वजनकि व्यवस्था नहीं बिगड़ रही तभी वो इसकी अनुमति देगा.
भारतीय राजनेताओं ने क्या कहा?
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने आईएएनएस से कहा, “हर देश के अपने नियम और कानून होते हैं. उनके अपने सुरक्षा इंतजाम होते हैं और उनके अनुसार वे नियम बनाते हैं. मुझे नहीं लगता कि इस मामले को धार्मिक दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है.”
इसी तरह, एनसीपी-एसपी नेता मजीद मेमन ने टिप्पणी की कि इस कानून को मुस्लिम बहुल देशों से समर्थन नहीं मिलेगा और भारत पर इसका कोई असर नहीं होगा.
मेमन ने कहा, “स्विट्जरलैंड एक छोटा देश है और इसकी जनसंख्या भारत की तुलना में बहुत कम है. वहां मुस्लिम आबादी ज्यादा नहीं है. उनकी सरकार ने अपने देश की परिस्थितियों को देखते हुए यह कदम उठाया होगा.”
तुलना करते हुए मेमन ने कहा, “भारत की मुस्लिम आबादी स्विट्जरलैंड की कुल जनसंख्या से कही अधिक है. यहां 20 करोड़ से अधिक मुस्लिम रहते हैं. इसका भारत से कोई लेना-दें नहीं है. यह उनका मामला है और मुझे नहीं लगता कि इसमें किसी को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा, “कई मुस्लिम बहुल देश इस विचार की आलोचना कर सकते हैं. हालांकि, भारत में, जहां सभी धर्मों के लोग सौहार्दपूर्वक रहते हैं. मुझे नहीं लगता कि इसका कोई प्रभाव पड़ेगा.”
Hindi Post Web Desk/IANS