दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा ममता के लिए बड़ा झटका!
नई दिल्ली | तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने शुक्रवार को राज्यसभा में पार्टी से इस्तीफा दे दिया, जिन्होंने दावा किया कि वह पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल में ‘घुटन’ और ‘असहाय’ महसूस कर रहे थे। त्रिवेदी ने कहा, “मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं क्योंकि मेरे राज्य में हिंसा हो रही है। मैं अपनी पार्टी का आभारी हूं कि जिसने मुझे यहां भेजा। मुझे घुटन महसूस हो रही है, क्योंकि हम राज्य में हिंसा के बारे में कुछ नहीं कर पा रहे हैं।”
त्रिवेदी ने कहा, “मैं बंगाल के लोगों की सेवा करना जारी रखूंगा, लेकिन मेरी आत्मा मुझसे कहती है कि अगर आप यहां बैठकर कुछ नहीं कर सकते, तो इस्तीफा दे दें।”
त्रिवेदी के इस्तीफे को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि राज्य में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
त्रिवेदी ममता बनर्जी और दिल्ली की राजनीति के बीच का इंटरफेस थे, और उन्हें मुख्यमंत्री का बहुत करीबी माना जाता था। त्रिवेदी ने बीजेपी और एनडीए के साथ और यूपीए के साथ भी बनर्जी के सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षो में, स्थानीय तृणमूल नेतृत्व को पार्टी में प्रमुखता मिली और त्रिवेदी, जिन्हें कभी बनर्जी का दाहिना हाथ माना जाता था, को धीरे-धीरे पार्टी के प्रमुख निर्णय लेने की प्रक्रिया से हटा दिया गया।
हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह भाजपा में शामिल होते हैं या कोई दूसरा रास्ता अपनाते हैं। भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय पहले ही कह चुके हैं कि अगर त्रिवेदी भाजपा में शामिल होने का इरादा रखते हैं तो उनका स्वागत है।
पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री त्रिवेदी ने उस समय पार्टी के लिए बड़ी भूमिका निभाई थी, जब बनर्जी ने कांग्रेस से नाता तोड़ अपनी खुद की पार्टी बनाई थी।
वह दिल्ली में एक लोकप्रिय तृणमूल चेहरा थे। लेकिन जैसे-जैसे राज्य के नेताओं का दबदबा बढ़ता गया, वह धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए।
भाजपा के खिलाफ बैरकपुर से 2019 के आम चुनाव हारने के बावजूद, त्रिवेदी को बनर्जी ने राज्यसभा भेजा था।
अटकलें लगाई जा रही हैं कि गुजरात से भाजपा त्रिवदी को राज्यसभा में भेज सकती है।
त्रिवेदी के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि अब एक जमीनी स्तर के कार्यकर्ता को उच्च सदन भेजा जा सकता है।
आईएएनएस