बेंगलुरु में दसवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के स्कूल बैग में मिले कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियां, स्कूल बैग की चेकिंग के दौरान हुआ खुलासा

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सांकेतिक तस्वीर (ट्विटर)
The Hindi Post

बेंगलुरू | बेंगलुरू के अलग-अलग स्कूलों में छात्रों के बैग चेक करने का एक रूटीन अभियान चलाया गया. इस दौरान, जांचकर्ता हैरान रह गए. छात्रों के बैग से कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां, सिगरेट और व्हाइटनर जैसी आइटम मिले.

कर्नाटक में एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ स्कूल्स (केएएमएस) के महासचिव डी. शशिकुमार नवे कहा- स्कूलों में शराब का सेवन, वोडका के शॉट्स लेने जैसी घटनाएं इन दिनों काफी आम हो गई हैं. लेकिन, परेशान करने वाली बात यह है कि ऐसे आइटम भी अब स्कूलों में बच्चों के बैग में पाए जा रहे हैं.

शशिकुमार ने बुधवार को आईएएनएस को बताया कि यह तो हिमशैल का सिरा है, यानी बहुत बड़ी और अज्ञात किसी चीज का छोटा सा हिस्सा है.

स्कूलों ने इन बच्चों को 10 दिन की छुट्टी पर भेजने का फैसला किया है. इन स्कूलों के मैनेजमेंट ने सूचनाओं को गोपनीय रखने और छात्रों और उनके माता-पिता के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था करने का भी निर्णय लिया है. बच्चों के बैग की चेकिंग मुख्य रूप से बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित स्कूलों में आयोजित की गई थी.

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कक्षा 10 में पढ़ने वाले लड़कों और लड़कियों दोनों के बैग में कंडोम और गर्भनिरोधक पाए गए. सूत्रों ने कहा कि पूछताछ करने पर, छात्रों ने बिना किसी हिचकिचाहट के कहा कि उन्हें अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच कुछ मौज-मस्ती करने की जरूरत है. बच्चों के इस व्यवहार के लिए कोविड महामारी को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. महामारी के समय अपना बच्चे अधिकांश समय इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के साथ बिताते थे.

बदनामी के डर से अभिभावक और स्कूल प्रबंधन इन तथ्यों को छुपाते हैं. छोटे-छोटे बच्चे ड्रग पेडलर हैं.

यह केएएमएस की सलाह पर स्कूल प्रबंधन द्वारा किया गया नियमित अभ्यास (बैग चेक करना) था. एक बैठक में छात्रों के हित में कई तथ्यों पर चर्चा की गई. शशिकुमार ने कहा, मैंने चार दिन पहले इस संबंध में बाल कल्याण समिति को एक आवेदन दिया था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. उन्होंने कहा कि बच्चों के एक समूह के अधिकारों की रक्षा के लिए अन्य बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है. ये बच्चे दूसरे बच्चों का शोषण कर रहे हैं. बच्चों के बीच नशीला पदार्थ और तंबाकू का सेवन, साथियों का दबाव, लड़ाई-झगड़े, जैसी परेशान करने वाली चीजें हो रही हैं. दुर्भाग्य से कोई भी बच्चों से पूछताछ करने में सक्षम नहीं है.

शशिकुमार ने कहा कि माता-पिता असहाय हैं और शिक्षक अनिच्छुक हैं क्योंकि आजकल बच्चों से थोड़ी सी भी पूछताछ एक अपराध है. शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अभी तक उन्हें इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है.

आईएएनएस


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