गौरव वल्लभ ने कांग्रेस को कहा अलविदा

गौरव वल्लभ (फाइल फोटो | आईएएनएस)

The Hindi Post

नई दिल्ली | लोकसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने गुरुवार सुबह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी दिशाहीन हो गई है. अयोध्या के राम मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा पर कांग्रेस के रुख पर उन्होंने नाराजगी जताई.

गौरव वल्लभ ने कहा, “मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के ‘वेल्थ क्रिएटर्स’ को गाली दे सकता हूं. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं.”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा भेजते हुए गौरव वल्लभ ने लिखा, “भावुक हूं, मन व्यथित है, काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं, लेकिन मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे. कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया. कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से रखा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के रुख से असहज महसूस कर रहा हूं.”

 

उन्होंने कहा, “जब मैं कांग्रेस पार्टी में शामिल हुआ था, तब मेरा मानना था कि यह देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की कद्र होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नए आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाता. पार्टी का जमीनी स्तर से संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है, जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और न ही मजूबत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो राजनैतिक रूप से जरूरी है. जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को सीधे सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है.”

उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, “अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं. मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं. पार्टी के इस रुख ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया. पार्टी और गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उस पर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है. इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है. एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं, यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक खास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है. यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है.”

गौरव के मुताबिक, आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का रुख हमेशा देश के ‘वेल्थ क्रिएटर्स’ को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है. आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है. देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नजरिया हमेशा नकारात्मक रहा. क्या हमारे देश में बिज़नेस करके पैसा कमाना गलत है.

उन्होंने पार्टी अध्यक्ष से कहा कि पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें वह खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए, “मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं”.

आईएएनएस

 


The Hindi Post

You may have missed

error: Content is protected !!