नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर हो रहे विवाद पर अखिलेश यादव का बयान आया
लखनऊ | नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है. इस बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव ने दोबारा इस मुद्दे को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने मान लिया है कि अब सत्ता सौंपने का समय आ गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करके कहा, “सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण (एक-हाथ से दूसरे हाथ में जाने) का प्रतीक है… लगता है भाजपा ने मान लिया है कि अब सत्ता सौंपने का समय आ गया है.”
सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण (एक-हाथ से दूसरे हाथ में जाने) का प्रतीक है… लगता है भाजपा ने मान लिया है कि अब सत्ता सौंपने का समय आ गया है। pic.twitter.com/wLPeIYvljC
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 26, 2023
इससे पहले उन्होंने 24 मई को लिखा था, “भाजपाईयों द्वारा संसद के दिखावटी उद्धाटन से नहीं, बल्कि वहाँ पर लिखे ‘श्लोकों’ की मूल भावना को समझकर, सभी को सुनने व समझने का बराबर अवसर देना ही सच्ची संसदीय परंपरा है। जहाँ सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती, उसके उद्धाटन में क्या जाना.”
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना को लेकर सवाल उठाए है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “सेंगोल राजदंड, राजतंत्र का प्रतीक था। आज देश में लोकतंत्र है, लोकतंत्र में राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल का क्या काम? सेंगोल के प्रति भाजपा सरकार की दीवानगी इस बात का प्रमाण है कि इसको लोकतंत्र में विश्वास नहीं है इसलिए भाजपा लोकतंत्र से हटकर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है जो लोकतंत्र के लिये खतरे की घंटी है.”
सेंगोल राजदंड, राजतंत्र का प्रतीक था। आज देश में लोकतंत्र है, लोकतंत्र में राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल का क्या काम? सेंगोल के प्रति भाजपा सरकार की दीवानगी इस बात का प्रमाण है कि इसको लोकतंत्र में विश्वास नहीं है इसलिए भाजपा लोकतंत्र से हटकर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है जो…
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) May 26, 2023
गौरतलब है, नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाने पर सवाल उठ रहे हैं. नेताओं का कहना है कि भवन का उद्घाटन द्रौपदी मुर्मू के हाथों न कराकर पीएम मोदी से कराना राष्ट्रपति का अपमान है. इसलिए ही एक के बाद एक राजनीतिक दल समारोह का बहिष्कार करते जा रहे हैं.
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क/आईएएनएस