किसान आंदोलन के समर्थन में अकाली संरक्षक बादल ने पद्म पुरस्कार लौटाया
चंडीगढ़ | पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसानों के समर्थन में उतरते हुए विरोध स्वरूप अपना पद्म विभूषण अवार्ड लौटा दिया है। आंदोलनरत किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के संरक्षक बादल ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ छल कर रही है। प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों का विरोध किया है और किसानों पर कार्रवाई की निंदा की है। बादल ने लिखा कि किसानों के साथ जिस तरह का धोखा किया गया है, उससे उन्हें काफी दुख पहुंचा है। उन्होंने कहा कि मैं जो भी हूं, किसानों की वजह से ही हूं। ऐसे में अगर किसानों का अपमान हो रहा है, तो किसी तरह का सम्मान रखने का कोई फायदा नहीं है।
उन्हें 2015 में देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान प्राप्त हुआ था।
पत्र में आगे कहा गया है, जब भारत सरकार अध्यादेश लाई थी, तो आश्वासन दिया गया था कि इन विधेयकों पर किसानों की आशंकाओं को संबंधित विधेयकों और बाद में अधिनियमों को लाने के दौरान उनकी संतुष्टि को संबोधित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, इन आश्वासनों पर भरोसा करते हुए, मैंने किसानों से सरकार की बात पर विश्वास करने की भी अपील की। लेकिन मैं तब हैरान रह गया जब सरकार अपनी कही हुई बात पर नहीं टिकी।
बादल ने पत्र में कहा, मेरे लंबे राजनीतिक जीवन में यह सबसे दर्दनाक और शर्मनाक क्षण था और मैं सिर्फ उस भावनात्मक तनाव को शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
बादल ने कहा, मैं वास्तव में आश्चर्य करने लगा हूं कि देश की सरकार इतनी हृदयहीन क्यों हो गई है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार की ओर से किसानों के प्रति ऐसे रुख को खौफनाक करार दिया।
बादल ने कहा कि किसान जीने के अपने मूलभूत अधिकार की रक्षा के लिए कड़ाके की ठंड में कड़ा संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने राष्ट्रपति से कहा, दुख की बात है कि किसानों के दर्द और गुस्से के प्रति कोई संवेदनशीलता दिखाई नहीं दे रही है। मुझे यकीन है कि हमारे महान देश के पहले नागरिक और एक कर्तव्यनिष्ठ सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में, आप पूरी तरह से जागरूक होंगे।
नई कृषि नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का गुरुवार को आठवां दिन है और किसान नेताओं ने एक बार फिर अपनी मांगों को दोहराया है। पंजाब और हरियाणा के अंदरूनी इलाकों से आए हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन पर बैठे हैं। वे हरियाणा की सिंघु, टिकरी सीमा और उत्तर प्रदेश की गाजीपुर और चिल्ला सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। सिंघु सीमा पर हजारों किसान डेरा डाले हुए हैं, जबकि कई अन्य समूहों ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर दिल्ली-उत्तरप्रदेश गाजीपुर सीमा और दिल्ली-उत्तरप्रदेश चिल्ला सीमा पर आवागमन को बाधित कर दिया है।
गौरतलब है कि प्रकाश सिंह बादल और बादल परिवार के अन्य सदस्यों की ओर से पहले भी कृषि कानूनों का विरोध किया गया था। हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और केंद्र के नए कृषि कानूनों को किसानों के साथ बड़ा धोखा बताया था। इतना ही नहीं अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने पार्टी के राजग से अलग होने का ऐलान करते हुए पंजाब के चुनावों में अकेले लड़ने की बात कही थी। आंदोलनरत किसानों ने सरकार के आमंत्रण पर मंगलवार को बातचीत की थी। हालांकि, नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 35 किसान संगठनों की चिंताओं पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को किसान प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया था।
आईएएनएस