राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश नहीं हुए शामिल
पटना | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजधानी में हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए जिसके बाद सोमवार को भाजपा और जद (यू) के बीच तनातनी और तेज हो गई. जनता दल-युनाइटेड संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश की गैरमौजूदगी का बचाव करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सभी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं हैं.
जद (यू) ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन किया था. द्रौपदी जब चुनाव प्रचार के लिए पटना आई थीं, तो नीतीश कुमार ने उनसे अपनी पार्टी के समर्थन का वादा किया था. शपथ समारोह में जाना महज एक औपचारिकता है. जरूरी नहीं कि हर कार्यक्रम में शामिल हों. चूंकि यहां बिहार में उनकी बहुत सारी प्रतिबद्धताएं हैं, इसलिए वे शपथ ग्रहण समारोह के लिए राष्ट्रीय राजधानी नहीं जा सके. यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. लोगों को इस पर ध्यान देने से बचना चाहिए.”
कुशवाहा ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पार्टी की एक उच्चस्तरीय बैठक के लिए भाजपा नेताओं अमित शाह और जेपी नड्डा की पटना की प्रस्तावित यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बिहार में नीतीश कुमार सबसे बड़े नेता हैं. अगर किसी अन्य पार्टी का कोई शीर्ष नेता बिहार आ रहा है तो यह शायद ही हमारे लिए कोई मायने रखता है.”
अमित शाह पर कुशवाहा का बयान इशारा करता है कि बिहार में भाजपा और जद (यू) के बीच सब कुछ ठीक नहीं है.
उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल के बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी. जायसवाल ने हाल ही में कहा था कि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल फुलवारी शरीफ का भंडाफोड़ किए जाने से लगता है कि बिहार आतंकवादियों का नया अड्डा बन रहा है.
कुशवाहा ने कहा, “अगर संजय जायसवाल को बिहार में आतंकवादी गतिविधियों के बारे में जानकारी है, तो उन्हें मुख्यमंत्री या सुरक्षा एजेंसियों के संबंधित अधिकारियों के साथ जानकारी साझा करनी चाहिए. जिस तरह से वह सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं, लगता है, उनके पास आतंकवादी गतिविधियों के बारे में बहुत सारी जानकारी है. अगर वह संबंधित अधिकारियों या मुख्यमंत्री के साथ जानकारी साझा करने में विफल रहे तो उन्हें जानकारी छिपाने के आरोप का सामना करना पड़ेगा.”
आईएएनएस