नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट की पहल, चीनी मिलो में बिना भाप के बनेगा सीरप
कानपुर | राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर द्वारा मेसर्स हाइड्रोनॉटिक्स (निट्टो ग्रुप की बहुराष्ट्रीय कंपनी) के साथ मेम्ब्रेन आधारित गन्ना रस सांद्रण तकनीक के विकास हेतु सोमवार को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। वर्तमान में गन्ने के रस का सान्द्रण शोधन के उपरांत बहुप्रभावी वाष्पीकारकों में स्टीम की मदद से किया जाता है जबकि मेम्ब्रेन आधारित सांद्रण प्रक्रिया में रस का सांद्रण ‘रिवर्स ऑस्मॉसिस’ के सिद्धान्त पर किया जाता है। इस तकनीक में भाप या स्टीम की आवश्यकता रस से जल के वाष्पण में नहीं होती फलतः इससे ईधन की बचत होती है।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक, नरेंन्द्र मोहन ने बताया कि पारंपरिक विधि में भाप या स्टीम की मदद से क्वथन की प्रक्रिया किये जाने पर कुछ मात्रा में चीनी का क्षय होने के साथ-साथ उसमें रंग उत्पन्न होने की संभावना रहती है जिसे इस आधुनिक विधि में कम किया जा सकता है। इसकी कार्यविधि व क्षमता के आंकलन के लिये दो चीनी कारखानों में वर्तमान पेराई सत्र के दौरान पाइलट प्लाण्ट स्तर पर इस तकनीक का परीक्षण किया जायेगा। इसके आधार पर पूरी प्रक्रिया में निर्धारित प्रक्रिया /पैरामीटर, पूँजी लागत और संचालन लागत का आकलन किया जा सकता है। इस अध्ययन के आधार पर ही पारंपरिक विधि की तुलना में इस विधि के आकलन हेतु महत्वपूर्ण आँकड़ों का संचय किया जाएगा।
प्राप्त आंकड़ों के मूल्यांकन के उपरांत सिस्टम में आवश्यकतानुसार सुधार किये जायेंगे जिससे नये विधि से संचालन की प्रक्रिया का मानकीकरण और संयंत्र की इच्छित दक्षता प्राप्त की जा सके। इस पूरे प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ हैं तथापि सहयोगात्मक प्रयास से हम इस नयी विधि के द्वारा चीनी उद्योग के लिए नये आयाम विकसित करने में सफल होंगे जो पूरे उद्योग के लिए ही दिशा बदलने वाला साबित होगी, निदेशक , राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने कहा।
समझोते के अनुसार इस प्रायोगिक इकाई की आपुर्ति मेसर्स हाइड्रोनॉटिक्स के द्वारा की जाएगी। साथ ही मेसर्स हाइड्रोनॉटिक्स संचालन के व्यय के साथ साथ राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर की तकनीकी परामर्श का शुल्क भी देगा।
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क