ठीक दाऊद की तरह अपने गिरोह को खड़ा कर रहा है गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, गिरोह का काम – हत्या करना, जबरन वसूली…. NIA की चार्ज शीट से खुलासा
नई दिल्ली । गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की अपने आतंकी नेटवर्क के विस्तार करने की रणनीति काफी हद तक वैसी ही है जैसे 1990 के दशक में दाऊद इब्राहिम ने अपना नेटवर्क बनाया था. इस बात का खुलासा हुआ है NIA द्वारा लॉरेंस विश्नोई के खिलाफ दायर चार्जशीट में.
एनआईए ने आरोप पत्र में कहा है कि ज्यादातर अपराध लॉरेंस के गिरोह के सदस्यों ने कनाडा जाने के लिए टिकट के बदले में किए हैं.
एनआईए ने कहा कि डी कंपनी चलाने वाला दाऊद कभी छोटा गुंडा हुआ करता था. लेकिन बाद में अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया.
इसी तर्ज पर, लॉरेंस बिश्नोई, जो उत्तर भारत में एक संगठित आतंकी सिंडिकेट चलाता है, ने एक छोटे अपराधी के रूप में शुरुआत की थी. उसने खुद का गिरोह बनाया. इसे लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के नाम से जाना जाता है.
आरोप पत्र में उल्लेख किया गया कि बाद के वर्षों में, उसने सतिंदर जीत की मदद से अपने गिरोह का और विस्तार किया. उसमें गोल्डी बराड़, सचिन थापर उर्फ सचिन थापर बिश्नोई, अनमोल बिश्नोई उर्फ भानु, विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्रम बराड़, काला जठेरी और काला राणा शामिल हुए.
एनआईए ने कहा कि लॉरेंस बिश्नोई के पास वर्तमान में 700 से अधिक सहयोगियों/सदस्यों का एक विशाल नेटवर्क है. इस गिरोह ने वर्ष 2020 तक करोड़ों रुपये कमाए.
एनआईए ने उल्लेख किया है कि बिश्नोई पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला और अन्य लोगों की हत्या का मास्टरमाइंड है. इसमें कई अन्य लोग भी मास्टरमाइंड हो सकते है.
“दाऊद इब्राहिम की तरह बिश्नोई एक कुख्यात गैंगस्टर बन गया है. उसने अपनी आपराधिक गतिविधियों के 10 साल के भीतर आतंकवादी संगठनों को सहायता देना शुरू कर दिया. उसके आतंकी सिंडिकेट ने हत्याओं और जबरन वसूली के माध्यम से उत्तर भारत में कानून और व्यवस्था को अस्थिर करने का लक्ष्य रखा है.
एनआईए ने आरोप पत्र में कहा कि गिरोह के सभी सदस्य आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बिश्नोई और गोल्डी बरार के निर्देशों पर काम करते हैं. गिरोह का नेता है बिश्नोई जो किसी भी आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने के लिए गिरोह के सदस्यों को निर्देश देता है.
“वर्तमान में यह गिरोह दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारतीय राज्यों में सक्रिय है. गिरोह ले लोग – हत्या, गोलीबारी, जबरन वसूली, बैंक डकैती, भूमि कज्बा करना जैसे संगठित अपराधों में शामिल है.”
गिरोह के अधिकांश मुख्य सदस्य सलाखों के पीछे हैं, लेकिन उनमें से कुछ अभी भी जेलों के अंदर से और साथ ही जेल में बंद अन्य गैंगस्टरों के साथ गठबंधन करके गिरोह को संचालित करते हैं.
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क/आईएएनएस