लखनऊ | उत्तर प्रदेश कैडर के तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा एक सप्ताह के भीतर सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की मांग के बाद नौकरशाही अटकलों से घिर गई है. यह शायद पहली बार है कि कुछ दिनों के भीतर एक के बाद एक तीन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों ने वीआरएस की मांग की है.
ये तीन अधिकारी हैं- रेणुका कुमार (1987 बैच), जुथिका पाटनकर (1988) और विकास गोथलवाल (2003).
रेणुका कुमार – 1987 बैच
रेणुका कुमार 30 जून, 2023 को सेवा से सेवानिवृत्त होने वाली थीं और उन्हें 28 जुलाई को उनके मूल कैडर यूपी में वापस भेज दिया गया था.
उन्होंने नब्बे के दशक में राज्य कैडर में तीन सबसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों की पहचान करने के लिए यूपी आईएएस एसोसिएशन के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
जानकार सूत्रों ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश लौटने को तैयार नहीं थी और उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया.
जुथिका पाटनकर – 1988 बैच
केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर रहीं जुथिका पाटनकर ने राम नाईक के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के प्रधान सचिव के रूप में काम किया था.
उन्होंने वीआरएस मांगा, हालांकि वह जनवरी 2024 में सेवानिवृत्त होने वाली थीं.
विकास गोथलवाल – 2003 बैच
ब्रिटेन में अध्ययन अवकाश पर चल रहे विकास गोथलवाल ने कथित तौर पर स्वास्थ्य के आधार पर वीआरएस की मांग की थी.
पता चला है कि तीनों अधिकारियों ने वीआरएस मांगने वाले अपने पत्र की प्रतियां मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा और राज्य नियुक्ति विभाग को भेजी हैं.
व्हाट्सप्प पर चर्चाओं का बाजार गरम
इस बीच, आईएएस अधिकारियों के आंतरिक व्हाट्सएप ग्रुप, तीन आईएएस अधिकारियों के वीआरएस मांगने के संभावित कारणों से भरा पड़ा है. अधिकारी सेवा शर्तो पर बहस कर रहे हैं जो नौकरशाहों को उत्तर प्रदेश से दूर कर रही हैं और राज्य में नौकरशाही का तीव्र राजनीतिकरण भी कर रही हैं. कुछ शीर्ष नौकरशाहों को भी इस स्थिति के लिए दोषी ठहराया जा रहा है.
आईएएनएस