विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को घोषित किया ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी
नई दिल्ली | विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एमपॉक्स (Mpox) वायरस (इसे पहले मंकीपॉक्स/Monkeypox कहा जाता था) के कहर को देखते हुए इमरजेंसी घोषित कर दी है. डब्ल्यूएचओ ने बताया कि कई देशों में इससे जुड़े मामलों में तेजी देखने को मिल रही है. इसे ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है.
इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ ने लोगों को अलर्ट रहने का भी निर्देश दिया है ताकि आगामी दिनों में स्थिति और खराब न हो जाए.
गौरतलब है कि एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो आमतौर पर बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है. अब तक कई लोगों में इस तरह का संक्रमण देखा जा चुका है. यह एक तरह से फ्लू जैसी बीमारी है. इससे शरीर में मवाद से भरे दाने हो जाते हैं.
इस बीमारी को ध्यान में रखते हुए डब्लूएचओ ने तीन सालों में दूसरी बार इमरजेंसी की घोषणा की है. इससे पहले 2022 में भी ऐसा देखने को मिला था. उस समय इस वायरस ने एक या दो नहीं बल्कि 100 से भी अधिक देशों में अपना कहर दिखाया था. इससे 200 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. यह वायरस मुख्य रूप से गे और बाइसेक्सुअल पुरुषों को प्रभावित करता है.
बता दें कि कांगो (अफ्रीकी देश) में अब तक 14 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से 500 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है. चिंता की बात यह है कि 15 साल से कम उम्र की लड़कियां भी इस वायरस का शिकार हो रही है. इसे ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपातकाल की घोषणा करने का फैसला किया है ताकि स्थिति को और खराब होने से रोका जा सके.
इस वायरस को लेकर लोगों को सतर्क करते हुए डॉ. ईश्वर गिलाडा कहते हैं, “एमपॉक्स से बुखार, चकत्ते हो सकते है. बूंदों के माध्यम से फैलने की संभावना बहुत कम है. वैक्सीन उत्पादन में भारत की ताकत का सकारात्मक उपयोग किया जाना चाहिए.”
एमपॉक्स को मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है. अब तक कई देशों में यह वायरस अपना कहर दिखा चुका है. यह ऑर्थोपॉक्स वायरस जींस से संबंधित बीमारी होती है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले 1958 में बंदरों में हुई थी. इसके बाद यह इंसानों में फैलती चली गई.
आईएएनएस