अविश्वास प्रस्ताव के परिणामस्वरूप किन भारतीय प्रधानमंत्रियों को पद छोड़ना पड़ा था?

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार कर लिया गया है.
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला अब सभी राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स के साथ बैठक कर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख और समय तय करेंगे.
बुधवार को दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और सभी सांसदों को वेल में जाने से मना कर अपनी-अपनी सीट पर ही मौजूद रहने को कहा.
आवश्यक दस्तावेजों को सदन में पेश करवाने के बाद, लोक सभा अध्यक्ष ने गौरव गोगोई को अपना प्रस्ताव पेश कर सदन की अनुमति लेने को कहा. बिरला की अनुमति मिलने के बाद गौरव गोगोई ने सदन में खड़े होकर मोदी सरकार में विश्वास नहीं होने (अविश्वास प्रस्ताव) का प्रस्ताव पेश किया.
स्पीकर ने कांग्रेस सांसद के प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसदों को खड़े होने को कहा ताकि प्रस्ताव के समर्थक सांसदों की गिनती की जा सके.
कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी, बीआरएस, जेडीयू और शिवसेना (उद्धव गुट) सहित अन्य कई विपक्षी दलों के सांसदों ने खड़े होकर गौरव गोगोई के प्रस्ताव का समर्थन किया.
नियमों के मुताबिक, अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में पर्याप्त आंकड़े को देखते हुए स्पीकर ने कांग्रेस सांसद के नोटिस (अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस) को मंजूर करते हुए कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक कर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख और समय तय करेंगे.
आपको बताते चले कि इससे पहले सदन (लोक सभा) में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है और इस कारण से तीन भारतीय प्रधानमंत्रियों को पद से हटना पड़ा था.
1. 11 महीने सत्ता में रहने के बाद 1990 में वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी.
2. 10 महीने तक सत्ता में रहने के बाद 1997 में एचडी देवेगौड़ा को PM पद छोड़ना पड़ा था.
3. अटल बिहारी वाजपेयी 1999 में अविश्वास मत हार गए थे जिसके परिणामस्वरूप उन्हें प्रधान मंत्री पद से हटना पड़ा था.
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क