लखनऊ | उमेश पाल हत्याकांड के कुछ संदिग्धों की तलाश में उत्तर प्रदेश पुलिस की एक टीम कोलकाता गई है. पुलिस को ऐसी जानकारी मिली है कि कुछ आरोपी बंगाल में छुपे हुए है.
पुलिस ने कहा कि 9 एमएम पिस्तौल, स्प्रिंगफील्ड राइफल और देसी बम का इस्तेमाल करके उमेश पाल की जान ली गई थी. पुलिस ने कहा कि उमेश पाल 2005 में प्रयागराज में हुई बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह थे.
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी), कानून और व्यवस्था, प्रशांत कुमार ने कहा, हम विभिन्न पहलुओं से हत्याकांड की जांच कर रहे हैं.
एडीजी ने कहा, “सभी हमलावरों ने घटना को अंजाम देने से पहले योजना बनाई और अभ्यास किया था. सबसे पहले उस्मान को गोली चलाते हुए देखा गया. उसके पास एक देसी बम भी था. इसके अलावा, उसे कवर फायर दिया जा रहा था, जबकि एक अन्य संदिग्ध की पहचान गुड्डू मुस्लिम के रूप में की गई. वह बम फेंक रहा था. पूरी घटना एक मिनट से भी कम समय में अंजाम दिया जाता है.”
एडीजी ने यह भी कहा कि सनसनीखेज हत्या को अंजाम देने के बाद हमलावर ग्रामीण प्रयागराज के सुलेमसराय इलाके में पहुंचे और फिर वहां से अलग-अलग हो गए.
पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें गुप्त सूचना मिली है कि हमलावर कोलकाता भाग गए हैं और स्थानीय माफिया द्वारा उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, हमने एक पुलिस टीम पश्चिम बंगाल भेजी है और एक सेवानिवृत्त अधिकारी से सहायता मांगी है, जिन्होंने कोलकाता में शरण लेने वाले यूपी के कई गिरोहों का भंडाफोड़ किया था. बंगाल पुलिस की एसटीएफ इकाई भी अभियान में हमारी सहायता कर रही है.
अधिकारी ने कहा कि संदिग्धों को पकड़ने के लिए 17 टीमों का गठन किया गया है.
इस बीच, उस्मान के परिवार ने दावा किया है कि उसका असली नाम विजय चौधरी था.
आईएएनएस