पीयूष जैन से जब्त 197.49 करोड़ रुपये केस प्रॉपर्टी है, टर्नओवर नहीं, डीजीजीआई ने किया स्पष्ट
नई दिल्ली | जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने गुरुवार को कहा कि कानपुर के कारोबारी पीयूष जैन के दो परिसरों से बरामद कुल नकदी 197.49 करोड़ रुपये हैं। डीजीजीआई ने टर्नओवर वाली बात का खंडन करते हुए कहा है कि यह केस प्रॉपर्टी है, न कि उनकी कंपनी का टर्नओवर।
कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां छापेमारी के बाद डीजीजीआई का यह बयान सामने आया है।
डीजीजीआई ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि केस में पीयूष जैन के ठिकानों से कुल बरामद राशि को केस प्रॉपर्टी के रूप में एसबीआई की कस्टडी में रखा गया है।
डीजीजीआई के एक अधिकारी ने कहा, “विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर सबसे अधिक पेशेवर तरीके से जांच की जा रही है। पीयूष जैन के आवासीय एवं फैक्ट्री परिसर से बरामद नकद राशि को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सुरक्षित अभिरक्षा में केस प्रॉपर्टी के रूप में रखा गया है और आगे की जांच बाकी है। ओडोकेम इंडस्ट्रीज द्वारा अपनी कर देनदारियों के निर्वहन के लिए जब्त धन से कोई कर बकाया जमा नहीं किया गया है और उनकी कर देनदारियों का निर्धारण किया जाना बाकी है।”
डीजीजीआई ने परफ्यूमरी कंपाउंड्स के निर्माता पीयूष जैन द्वारा चलाए जा रहे ओडोकेम इंडस्ट्रीज में छापेमारी की थी।
डीजीजीआई ने पीयूष जैन के दो परिसरों से 197.49 करोड़ रुपये, 23 किलो सोना और उच्च मूल्य का अन्य सामान बरामद किया है।
इससे पहले, यह बताया गया था कि डीजीजीआई ने पीयूष जैन के परिसर से बरामद नकदी को उनकी कंपनी के कारोबार यानी टर्नओवर के रूप में मानने का फैसला किया है। यह भी कहा गया था कि पीयूष जैन डीजीजीआई की मंजूरी से कुल 52 करोड़ रुपये टैक्स बकाया के रूप में जमा करेंगे और सभी आरोपों से मुक्त हो जाएंगे। यह भी पता चला कि डीजीजीआई विभाग पीयूष जैन के बयान से सहमत हो गया है और तदनुसार कर देयता को अंतिम रूप दिया गया है।
हालांकि, गुरुवार को डीजीजीआई ने स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। डीजीजीआई ने सभी दावों का खंडन किया।
एजेंसी ने आगे कहा, “ये रिपोर्ट पूरी तरह काल्पनिक और आधारहीन है। यह स्पष्ट किया जाता है कि मामले में पीयूष जैन के ठिकानों से कुल बरामद राशि को केस प्रॉपर्टी के रूप में एसबीआई की कस्टडी में रखा गया है और मामले की जांच जारी है। पीयूष जैन की तरफ से अभी बकाया टैक्स राशि जमा नहीं की गई है।”
डीजीजीआई ने कहा कि पीयूष जैन द्वारा की गई स्वैच्छिक प्रस्तुतियां चल रही जांच का विषय हैं। उधर, पीयूष जैन ने डीजीजीआई से कहा है कि उनके परिसर से जब्त की गई नकदी को कर और जुर्माना काटकर उनको वापस कर दिया जाए।
जैन को कर चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में है।
अपराध को स्वेच्छा से स्वीकार करने और रिकॉर्ड पर उपलब्ध सबूतों के आधार पर, पीयूष जैन को 26 दिसंबर को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 132 के तहत गिरफ्तार किया गया था।
उन्हें 27 दिसंबर को अदालत के सामने पेश किया गया, जिसने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, क्योंकि डीजीजीआई ने उनसे हिरासत में पूछताछ की मांग नहीं की थी।
आईएएनएस