2013 में राहुल के अध्यादेश को फाड़ने से कांग्रेस की 2014 में हुई हार: आजाद
नई दिल्ली | कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने त्याग पत्र में राहुल गांधी द्वारा सितंबर 2013 में मीडिया के सामने उस सरकारी अध्यादेश को फाड़ने को ‘पार्टी की हार का कारण’ बताया है, जिसे कांग्रेस कोर ग्रुप के सीनियर लीडर्स ने अपने अनुभवों के आधार पर तैयार किया था.
आजाद ने राहुल गांधी पर साधा निशाना
उन्होंने कहा, इस अपरिपक्वता का सबसे सटीक उदाहरण राहुल गांधी द्वारा मीडिया के सामने सरकारी अध्यादेश को फाड़ना था. उक्त अध्यादेश को कांग्रेस कोर ग्रुप में तैयार किया गया था और बाद में तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया था. इस ‘बचकाने’ व्यवहार से प्रधानमंत्री पद और भारत सरकार की गरिमा तार-तार हुई.
आजाद ने राजीव गांधी को याद किया
आजाद ने पत्र में पार्टी के साथ 50 साल लंबे अपने जुड़ाव का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वह राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की अध्यक्षता में कांग्रेस संसदीय बोर्ड के सदस्य थे.
उन्होंने कहा कि वह निर्वाचित और मनोनीत दोनों तरीके से लगभग चार दशकों तक लगातार कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रहे हैं और उन्होंने देश के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी महासचिव के रूप में कार्य भी किया हैं.
उन्होंने कहा, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कांग्रेस ने उन 90 फीसदी राज्यों में जीत हासिल की, जहां वह समय-समय पर प्रभारी रहे थे.
आजाद ने कहा कि उन्होंने इस संगठन के लिए निस्वार्थ सेवा की है. उन्होंने सात साल के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी काम किया है.
1970 में कांग्रेस से जुड़े गुलाम नबी आजाद
उन्होंने कहा, मैं 1970 के दशक के मध्य में जम्मू और कश्मीर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुआ था.
उन्होंने कहा कि वह 1980 में आईवाईसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और उन्हें राजीव गांधी को इंडियन युथ कांग्रेस (आईवाईसी) की राष्ट्रीय परिषद् में शामिल करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था.
उन्होंने कहा, मुझे 1980 के दशक के मध्य से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्येक अध्यक्ष के साथ एआईसीसी में महासचिव के रूप में सेवा करने का अवसर मिला है.
आईएएनएस