नाबालिग लड़की से रेप का मामला: राहुल गांधी का ट्वीट न हटाने से जाहिर हुई नाबालिग बलात्कार पीडि़ता की पहचान: बाल संरक्षण आयोग ने हाई कोर्ट से कहा
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर बताया है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ट्वीट न हटाने के ट्विटर के फैसले से 2021 में बलात्कार और हत्या की शिकार नाबालिग दलित लड़की की पहचान जाहिर होने में मदद मिली थी.
उच्च न्यायालय ने इस मामले में मार्च में राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर एनसीपीसीआर से जवाब मांगा था.
राष्ट्रीय राजधानी में 1 अगस्त 2021 को एक नौ वर्षीय बच्ची की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. उसके माता-पिता ने आरोप लगाया था कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ओल्ड नंगल गांव में श्मशान के पुजारी ने बच्ची के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी थी और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था.
सामाजिक कार्यकर्ता मकरंद सुरेश म्हादलेकर ने 2021 में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 का उल्लंघन किया है, जो उन नाबालिगों की पहचान सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध लगाता है जिनका यौन उत्पीड़न हुआ हो.
एनसीपीसीआर ने अपने हलफनामे में कहा है कि हालांकि ट्विटर ने उसके द्वारा भेजा गया नोटिस मिलने पर भारत में पोस्ट को रोक दिया है (यानि राहुल गांधी का ट्वीट भारत में लोगों को ट्विटर पर नहीं दिख रहा है), लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (ट्विटर) ट्वीट को पूरी तरह से हटाने में विफल रहा है. इसलिए यह ट्वीट अभी भी ट्विटर पर उपलब्ध है और भारत के बाहर रहने वाले लोग इस ट्वीट को देख सकते है.
हलफनामे में आगे कहा गया है कि ट्विटर को विवादित ट्वीट को अपने मंच से हटा देना चाहिए और इसे केवल “भारतीय क्षेत्र” (भारत में यह ट्वीट नहीं देखा जा सकता) में छिपाया नहीं जाना चाहिए.
हलफनामे में कहा गया है, “उद्देश्य नाबालिग बच्ची की पहचान छिपाना है और इसलिए केवल भारतीय डोमेन से संबंधित पोस्ट (राहुल गांधी द्वारा किया गया ट्वीट) को छिपाना पीड़िता की पहचान छिपाने के उद्देश्य के लिए पर्याप्त नहीं होगा.”
इसमें आगे कहा गया है कि यहां यह उल्लेख करना उचित है कि उक्त पोस्ट को अभी भी एक्सेस किया जा सकता है (देखा जा सकता है लेकिन भारत के बाहर से).
नतीजतन, ट्विटर की निष्क्रियता पीड़ित की पहचान का खुलासा करने में योगदान देती है, जो देश के कानूनों का उल्लंघन है.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अन्य उत्तरदाताओं को अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है और मामले की सुनवाई की तारीख 23 नवंबर तय की है.
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क
(इनपुट्स: आईएएनएस)