नई दिल्ली | कथक के दिग्गज बिरजू महाराज का रविवार देर रात दिल का दौड़ा पड़ने से निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। कुछ दिन पहले ही उन्हें किडनी की बीमारी का पता चला था और वह डायलिसिस पर थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराज जी अपने पोतों के साथ खेल रहे थे, तभी अचानक उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनको दिल का दौरा पड़ा था.
देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित महाराज जी आजीवन कथक गुरु होने के साथ-साथ एक प्रतिभाशाली हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक और तालवादक भी थे।
उन्हें सत्यजीत रे के ऐतिहासिक नाटक ‘शतरंज के खिलाड़ी’ (जिसके लिए उन्होंने गाया भी था) में दो नृत्य दृश्यों के लिए और 2002 के देवदास वर्जन में माधुरी दीक्षित पर चित्रित ‘काहे छेड़ मोहे’ ट्रैक के लिए, सिनेमा प्रेमियों द्वारा याद किया जाता रहेगा।
महाराज जी ने कमल हासन की बहुभाषी मेगाहिट ‘विश्वरूपम’ में ‘उन्नई कानाधू नान’ को कोरियोग्राफ करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और बाजीराव मस्तानी गीत ‘मोहे रंग दो लाल’ के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, “पंडित बिरजू जी महाराज भारत की कला और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने कथक नृत्य के लखनऊ घराने को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया। उनके निधन से प्रदर्शन कला की दुनिया को भारी क्षति हुई है।”
Pandit Birju ji Maharaj was a doyen of India’s art and culture. He popularised the Lucknow gharana of Kathak dance form around the world.
Deeply pained by his demise. His passing away is a monumental loss to the world of performing arts. Condolences to his family and admirers.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) January 17, 2022
बिरजू महाराज लखनऊ घराने के जगन्नाथ महाराज के पुत्र थे, जिन्हें अच्चन महाराज के नाम से जाना जाता था, जिन्हें उन्होंने केवल नौ वर्ष की उम्र में खो दिया था। उनके चाचा प्रसिद्ध शंभू महाराज और लच्छू महाराज थे।
बिरजू महाराज श्रीराम भारतीय कला केंद्र और संगीत नाटक अकादमी कथक केंद्र, दिल्ली में पढ़े लिखे, जहां से वे 1998 में निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।
आईएएनएस