“नाबालिग लड़की के गुप्तांगों को छूना बलात्कार नहीं….” वाले हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने…..

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो | आईएएनएस)
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के हालिया विवादित फैसले पर रोक लगा दी है. इस फैसले में हाई कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में विवादास्पद टिप्पणी करते हुए आरोपी को बरी कर दिया था. इस मामले का शीर्ष अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया और इसे “संवेदनशीलता की कमी” बताया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकारों को नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के निर्देशों के अनुसार स्वत: संज्ञान में लिया गया है. न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हम हाईकोर्ट के आदेश को देखकर स्तब्ध हैं. इसमें कुछ टिप्पणियां बेहद कठोर और असंवेदनशील हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने खासकर आदेश के पैरा 24, 25 और 26 पर सवाल उठाए हैं. पीठ ने यह भी बताया कि पीड़िता की मां ने इस मामले में न्याय की गुहार लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि उनकी याचिका को भी इस मामले के साथ जोड़ा जाए.
शीर्ष अदालत ने कहा, “फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया था, बल्कि इसे चार महीने तक रिजर्व रखने के बाद सुनाया गया. इसके बावजूद इसमें गंभीर संवेदनहीनता देखने को मिली.”
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. साथ ही, सॉलिसिटर जनरल और अटॉर्नी जनरल को इस मामले में अदालत की मदद करने को कहा गया है.
बता दें कि इससे पहले इस मामले पर दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल तथा केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी.
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि नाबालिग लड़की के गुप्तांगों को स्पर्श करना और उसे पुलिया के नीचे खींचने को बलात्कार या बलात्कार की कोशिश नहीं माना जा सकता है. अदालत ने यह टिप्पणी एक 11 साल की बच्ची के साथ हुई घटना की सुनवाई के दौरान की थी और आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया था.
IANS