भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ स्वदेशी आईएनएस कवरत्ती, यह युद्धपोत है राडार की पकड़ से बहार
नई दिल्ली | भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड में स्वदेश निर्मित आईएनएस कवरत्ती को भारतीय नौसेना में शामिल किया। पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता से लैस आईएनएस कवरत्ती एक भारतीय प्रोजेक्ट के तहत चार स्वदेशी जहाजों में से आखिरी जहाज है।
इस मौके पर नरवने ने कहा, “आईएनएस कवरत्ती का कमीशन हमारे देश के समुद्री लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम है। मैं टीम कवरत्ती को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।”
इसका डिजाइन नौसेना की शाखा नौसेना डिजाइन निदेशालय और गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने यह जंगी पोत तैयार किया है। आईएनएस कवरत्ती (पी-31) प्रोजेक्ट 28 (कमरोटा श्रेणी) के तहत तैयार किया गया है।
एक अधिकारी ने कहा कि द्वीपों के समूह लक्षद्वीप (केंद्र शासित प्रदेश) की राजधानी के नाम पर आईएनएस कवरत्ती का नाम रखा गया है। उन्होंने बताया कि इसका निर्माण उच्च ग्रेड डीएमआर 249ए स्टील के उपयोग से किया गया है और इसे भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली एएसडब्ल्यू जहाजों में से एक माना जा सकता है।
#INSKavaratti, the indigenously designed & constructed Anti-Submarine Warfare (ASW) #Stealth Corvette was commissioned into #IndianNavy by General MM Naravane, #COAS at a ceremony held at Naval Dockyard, #Visakhapatnam today, 22 Oct 20.#AtmaNirbharBharathttps://t.co/RmkyoyQKRs pic.twitter.com/5AsG1Fqfo7
— SpokespersonNavy (@indiannavy) October 22, 2020
यह 3,300 टन के विस्थापन के साथ इसकी लंबाई 109 मीटर, जबकि चौड़ाई 14 मीटर है। जहाज चार डीजल इंजन द्वारा संचालित किया जाता है।
इस युद्धपोत की सबसे बड़ी खासियत है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आता है। आईएनएस कवरत्ती अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से लैस है। इसमें, ऐसे सेंसर लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने और उनका पीछा करने में सक्षम हैं। इसमें रडार से बच निकलने के लिए ऐसे फीचर्स हैं जो कि दुश्मन की पहचान में आने के लिए जहाज को कम संवेदनशील बनाते हैं।
इस जहाज की अनूठी विशेषता यह है कि इसका निर्माण स्वदेशी है। यानी यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के राष्ट्रीय उद्देश्य को पूरा करते हुए एक बेहतरीन जहाज है। अधिकारी ने बताया कि पोत में उच्च स्वदेशी सामग्री का प्रयोग किया गया है, जिसमें युद्ध की स्थिति में लड़ने के लिए परमाणु, जैविक और रसायन (एनबीसी) का उपयोग हुआ है।
इसके अलावा, इसमें हथियार और सेंसर मुख्य रूप से स्वदेशी हैं और इस क्षेत्र में यह देश की उभरती क्षमता भी दिखाते हैं।
स्वदेशी रूप से विकसित किए गए कुछ प्रमुख उपकरणों या प्रणालियों में कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर्स और इंफ्रा-रेड सिग्नेचर सप्रैशन सिस्टम आदि शामिल हैं।
आईएनएस कवरत्ती के नौसेना में शामिल हो जाने से नौसेना की ताकत कई गुणा बढ़ गई है।
अपने सभी उपकरणों के समुद्री परीक्षणों को पूरा करने के बाद ही इस जहाज को पूर्वी नौसेना कमान में पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार मंच के रूप में कमीशन दिया गया है, जो कि भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को बढ़ावा देता है।
आईएनएस कवरत्ती को इससे पहले के युद्धपोत (आईएनएस कवरत्ती पी-80) के पुनर्जन्म के तौर पर माना गया है। दरअसल उस जहाज ने 1971 में हुए भारत-पाकिस्तीन युद्ध में बड़ी अहम भूमिका निभाई थी।
आईएएनएस