सुशांत के पूर्व सहायक साबिर अहमद ने कहा, अगर सर ड्रग्स लेते तो मुझे पता होता
मुंबई: सुशांत सिंह राजपूत के पूर्व निजी सहायक साबिर अहमद का कहना है कि अभिनेता ने कभी भी ड्रग्स का सेवन नहीं किया, कम से कम तब तक तो उन्होंने कोई ड्रग्स नहीं ली थी, जब वह उनके साथ काम करते थे और रहते थे।
साबिर का दावा ऐसे समय में आया है, जब नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने सुशांत की मौत के मामले में संभावित ड्रग एंगल की जांच शुरू कर दी है और हाल ही में अभिनेता के परिवार ने भी आरोप लगाया है कि सुशांत को ड्रग्स दी गई थी।
साबिर ने आईएएनएस को बताया, “मैंने सुशांत सर के साथ काम किया है और बीच-बीच में काम का ब्रेक होता रहता था। उनके साथ मेरा आखिरी कार्यकाल दिसंबर 2018 से जनवरी या फरवरी 2019 तक रहा। मैंने फरवरी में छुट्टी ले ली थी।”
उन्होंने कहा, “मैंने उनके निजी सहायक के रूप में काम किया, जब वह ‘सोनचिरैया’ को प्रमोट कर रहे थे और ‘दिल बेचारा’ की शूटिंग कर रहे थे। मैं उन्हें फोटोशूट, फिल्म प्रमोशन और शूटिंग में सहायता करता था। उस समय मैं सर के साथ उनके 16वें फ्लोर के अपार्टमेंट में रहा।”
अहमद ने कहा, “अगर सर ने मेरे साथ काम करने के समय ड्रग्स का सेवन किया होता, तो मुझे निश्चित रूप से पता चल जाता। मैं उनके साथ चौबीसों घंटे रहता था। मैं अब इतनी सारी ड्रग्स के नाम सुन रहा हूं – एमएल या एमडी, या जो भी है। अगर वह इन्हें उस ले रहे होते तो मैं निश्चित रूप से इन नामों से अवगत होता। मैं इन ड्रग्स के बारे में सुनकर हैरान हूं। हालांकि, मैं केवल उस समय के बारे में बात कर रहा हूं, जब मैं उनके साथ काम करता था। मुझे नहीं पता कि मेरे चले जाने के बाद क्या हुआ।”
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने कैसे वहां पर काम छोड़ दिया, इस पर साबिर अहमद ने जवाब दिया, “2019 फरवरी में मैं सर से छुट्टी लेकर अपने घर शहर चला गया। मैं जून या जुलाई के आसपास मुंबई लौटा और उनसे संपर्क करने की कोशिश की। मैं सीधे सर से संपर्क नहीं कर पाया। हालांकि, उस समय उनके घर पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने मुझे सूचित किया कि अब रिया नामक कोई उनके घर पर सब कुछ संभाल रही हैं और वह सर के पुराने कर्मचारियों को रखे जाने की इच्छुक नहीं है। इसके बाद मैं सर के संपर्क में नहीं आया।”
अहमद ने कहा, “मैं सर से बहुत प्यार करता था और उनके प्रति वफादार था। मुझे क्या पता था कि उनके साथ कुछ गलत हो रहा था, अगर मुझे पता होता तो मैं कम से कम मदद करने के लिए कुछ करने की कोशिश करता। मैं सर के लिए कुछ भी कर सकता हूं, क्योंकि वह अपने कर्मचारियों का बहुत ख्याल रखते थे और वह हमसे प्यार करते थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे यह दिन देखना पड़ेगा। हो सकता है कि वह आज हमारे साथ शारीरिक रूप से मौजूद न हो, लेकिन वह हमेशा के लिए हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।”
साबिर ने अवसाद (डिप्रेशन) वाले मुद्दे पर बात करते हुए कहा, “मुझे उनके अवसाद में होने संबंधी बातें ही समझ में नहीं आ रही। वह बहुत खुश थे। उनके हाथ में काम था, वह कभी अकेले नहीं थे। वह अवसाद से ग्रस्त क्यों होंगे? हम थाईलैंड की यात्रा पर गए थे, जहां उन्होंने बहुत आनंद लिया। वहां उनके व्यवहार के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं था, जो उस समय अवसाद के संकेत देता। वह हमारे साथ काफी बातें करते थे और अपने कर्मचारियों को परिवार के सदस्यों के रूप में मानते थे। क्या एक उदास व्यक्ति इतनी बात करता है?”
उस समय सुशांत की दैनिक दिनचर्या पर प्रकाश डालते हुए, साबिर ने कहा, “सर हर दिन सुबह लगभग तीन या चार बजे उठते थे और अपनी दूरबीन (टेलिस्कोप) लेकर बैठ जाते थे और चांद को निहारते रहते थे। इसके बाद वह कुछ समय के लिए योग करते थे, जिसके बाद वह भक्ति गीत सुनते थे। क्योंकि वह शिवजी के भक्त थे। उसके बाद वह पढ़ने या लिखने के लिए बैठते थे। वह बहुत पढ़ते थे। इस तरह की उनकी दिनचर्या होती थी। वह बहुत खुश और सकारात्मक व्यक्ति थे।”
सुशांत के साथ बिताए शानदार पलों को याद करते हुए साबिर ने कहा, “सर एक बहुत अच्छे इंसान थे और यह उनके साथ काम करने का एक अद्भुत अनुभव था। वह जोश से भरे हुए थे। मेरे पास उनके साथ काम करने की बहुत अच्छी यादें हैं। मुझे अभी भी जमशेदपुर में दिल बेचारा की शूटिंग के दौरान होटल की छत पर उनके साथ क्रिकेट खेलना याद है। उन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था!”
आईएएनएस