दो महीने से लापता गोरखपुर की नाबालिग लड़की के केस में बोला सुप्रीम कोर्ट, उत्तर प्रदेश पुलिस कल तक दिल्ली पुलिस को सौंपे जांच रिकॉर्ड
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को एक 13 वर्षीय लड़की के कथित अपहरण से जुड़े मामले में गुरुवार तक दिल्ली पुलिस को जांच रिकॉर्ड सौंपने को कहा। न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, हृषिकेश रॉय और सी.टी. रविकुमार की पीठ लापता लड़की की मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार कर रही थी, जिसे संदेह है कि उसकी बच्ची का अपहरण दिल्ली के एक व्यक्ति ने किया है।
अधिवक्ता अमित पई के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “नाबालिग बेटी 8 जुलाई से लापता है और गोरखपुर पुलिस (यूपी) में प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद और दिल्ली पुलिस में शिकायत करने के प्रयास के बाद भी, कोई एक्शन नहीं लिया गया कि जिससे वह मिल जाए और उसको याचिकाकर्ता से मिलवाया जाए।”
याचिकाकर्ता दिल्ली में घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही है और उसने दावा किया कि संदिग्ध उसकी नाबालिग बेटी को लंबे समय से लुभाने की कोशिश कर रहा था।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसने दिल्ली के मालवीय नगर पुलिस स्टेशन में संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। याचिका में कहा गया है कि संदिग्ध को नाबालिग लड़की के साथ किसी भी तरह के अवैध संबंधों तथा अवैध गतिविधियों को करने एवं प्रलोभन देने से बचने के लिए अंतिम चेतावनी दी गई थी।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यूपी सरकार और दिल्ली पुलिस को उसकी नाबालिग बेटी के लापता होने और अपहरण की जांच करने और आरोपी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की है।
पीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को मामले में जांच की निगरानी करने का भी निर्देश दिया।
जिस तरह से याचिका में लड़की का पता लगाने में यूपी पुलिस की विफलता पर असंतोष व्यक्त किया, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि राज्य पुलिस मेहनती कदम उठा रही है और अंतर-राज्यीय प्रभाव के कारण जांच की गति प्रभावित हुई है।
दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई इस सप्ताह के अंत में निर्धारित की है।
आईएएनएस