भ्रामक विज्ञापनों से छात्रों को लुभाने वाले कोचिंग संस्थानों की अब खैर नहीं, सरकार ने मांगी जनता की राय

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नई दिल्ली | निजी कोचिंग संस्थानों की ओर से छात्रों को लुभाने के मकसद से कई तरह के भ्रामक विज्ञापन जारी किए जाते हैं. इस पर अंकुश लगाने के लिए अब केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ड्राफ्ट गाइडलाइन्स जारी कर लोगों से राय मांगी है.

मसौदा दिशानिर्देशों उपभोक्ता मामलों के विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है.

बता दें कि इस बारे में लोगों से उनके सुझाव मांगे गए हैं. यह सुझाव 16 मार्च 2024 तक केंद्रीय प्राधिकरण को सौंपा जा सकते है.

इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को निजी कोचिंग संस्थनों की ओर से भ्रामक विज्ञापनों से सुरक्षित रखना है.

दरअसल, यह मसौदा सभी हितधारकों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है.

प्रस्तावित दिशानिर्देश उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 18 (2) (एल) के तहत जारी किए जाएंगे.

ड्राफ्ट गाइडलाइन्स में कोचिंग को संस्थान के रूप में परिभाषित किया गया है. हालांकि, इस संस्थान में शिक्षा किसी भी व्यक्ति के द्वारा दी जा सकती है.

कोई भी व्यक्ति जो कोचिंग चलाता है या पढ़ाता उसे यह निम्नलिखित कार्य नहीं करने है –

संस्थानों को सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के नाम (चाहे मुफ्त हो या पैसे लेकर) और पाठ्यक्रम की अवधि की जानकारी देनी होगी.

कोचिंग संस्थान सत्यापन योग्य साक्ष्य उपलब्ध कराए बिना किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में छात्रों की सफलता दर, चयन की संख्या या रैंकिंग के संबंध में झूठे दावे नहीं कर सकते.

कोचिंग संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि लोग (छात्र और उनके माता-पिता) गुमराह न हो.

कोचिंग से जुड़े हर व्यक्ति पर दिशानिर्देश लागू होंगे.

हिंदी पोस्ट वेब डेस्क/आईएएनएस

 


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