महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर तीसरी मंजिल से कूदे और जाली में अटके, VIDEO
मुंबई | महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल समेत सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सात से आठ आदिवासी विधायक शुक्रवार को मंत्रालय (महाराष्ट्र सरकार के प्रशासनिक मुख्यालय मंत्रालय) की छत से कूद गए और सुरक्षा जाल पर जा गिरे. सभी बाल-बाल बच गए.
झिरवाल और मंत्रालय की छत से कूदने वाले अन्य विधायक, अनुसूचित जनजाति कोटे से धनगर समुदाय के लिए आरक्षण का विरोध कर रहे हैं. इसी विरोध के चलते सभी कूद गए थे. हालांकि, सभी बच गए. बाद में सभी को पुलिस की मदद से निकाला गया.
यह चौंकाने वाली घटना उस समय हुई जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में मंत्रालय की सातवीं मंजिल पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक चल रही थी.
किरण लाहमटे, हीरामन कोसेकर और सुनील भुसारा तथा भाजपा सांसद हेमंत सहारा के साथ बैठक में मौजूद झिरवाल इस बात से नाराज थे कि मुख्यमंत्री शिंदे ने उन्हें चर्चा के लिए समय नहीं दिया और एसटी वर्ग से धनगर समुदाय को आरक्षण देने के संवेदनशील मुद्दे पर उन्हें विश्वास में नहीं लिया. उन्होंने कहा कि गुरुवार को सात घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के बावजूद मुख्यमंत्री बैठक में नहीं आए.
Mumbai, Maharashtra: A man attempted suicide at Mumbai’s Mantralaya but fell onto the safety net installed there. Police quickly arrived at the scene. The incident occurred coinciding with the ongoing Maharashtra Cabinet meeting. pic.twitter.com/NH0LexLOZM
— IANS (@ians_india) October 4, 2024
सुरक्षा जाल पर गिरने के बाद सभी विधायक नारेबाजी करने लगे थे इसलिए पुलिस को उन्हें वहां से निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उन्हें समझाने की कोशिश करते नजर आए लेकिन विधायक अपनी जिद पर अड़े रहे.
विधायकों और भाजपा सांसद द्वारा किया जा रहा विरोध प्रदर्शन देखने के लिए मंत्रालय के कर्मचारी बड़ी संख्या में इकठ्ठा हो गए थे. आदिवासी विधायकों का कहना था कि न्याय मिलने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी.
#WATCH | NCP leader Ajit Pawar faction MLA and deputy speaker Narhari Jhirwal jumped from the third floor of Maharashtra’s Mantralaya and got stuck on the safety net. Police present at the spot. Details awaited pic.twitter.com/nYoN0E8F16
— ANI (@ANI) October 4, 2024
नरहरि झिरवाल रो पड़े और बोले, “हमने आदिवासी समुदाय और उन बच्चों के व्यापक हित में यह कदम उठाया है. उनका भविष्य बर्बाद नहीं होना चाहिए. हम विधायक या सांसद से पहले आदिवासी हैं.”
झिरवाल ने कहा कि हालांकि आदिवासी युवकों को PESA कानून के तहत भर्ती किया गया था लेकिन उनमें से अधिकांश को काम पर नहीं आने को कहा गया. उन्होंने कहा कि लगभग 6,500 ऐसे युवक वर्तमान में आदिवासी विधायकों के घरों के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उनसे मदद करने या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की मांग कर रहे हैं. इस बीच जिरवाल का रक्तचाप बढ़ गया, जिससे पुलिस को उनके इलाज के लिए डॉक्टरों की एक टीम बुलानी पड़ी.
हिंदी पोस्ट वेब डेस्क/आईएएनएस