अगले पखवाड़े के अंत तक रेमडेसिविर की कमी का संकट होगा समाप्त

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नई दिल्ली | देश में कोविड संबंधित दवाओं की भारी कमी है और इसकी ब्लैक मार्केटिंग को देखते हुए, देश के शीर्ष केमिस्ट बॉडी ने आश्वासन दिया है कि विनिर्माण कंपनियों से महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति में भारी वृद्धि होगी और भारत में अगले पखवाड़े तक यह संकट समाप्त हो जाएगा। देश भर के 9.50 लाख से अधिक केमिस्टों का प्रतिनिधित्व करने वाले ऑल इंडिया ऑगेर्नाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के सचिव, राजदीप सिंघल ने कहा, “कोविड के रोगियों के इलाज से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दवाओं की मांग में अभूतपूर्व उछाल आया है। अब सिप्ला या कैडिला जैसी कंपनियों ने शीशियों का उत्पादन बढ़ा दिया है। हम वादा करते हैं कि आपूर्ति पर्याप्त होगी।”

गंभीर रूप से बीमार कोविड रोगियों के लिए जीवन रक्षक दवा रेमडेसिविर की आपूर्ति में कमी और देरी का कारण बताते हुए, जे.एस. एआईओसीडी के अध्यक्ष जे.एस. शिंदे ने कहा कि इस दवा के एक ही बैच के उत्पादन में लगभग 15 से 16 दिन लगते हैं।

उन्होंने कहा, “रेमडेसिविर का तुरंत उत्पादन नहीं किया जा सकता है। इसके उत्पादन में 15 दिनों का साइकिल और पैकेजिंग और रोल आउट में 3 से 4 दिन लग जाते हैं। लेकिन अब कई निर्माताओं (लगभग 7 से 8) को लाइसेंस मिला है। इससे उत्पादन में तेजी आएगी। वर्तमान में रेमडेसिविर का वितरण संबंधित निमार्ताओं से इसके वितरकों के लिए है। यह स्टॉक राज्य सरकार की देखरेख में वितरकों से सीधे अस्पतालों में जाता है। आपूर्ति की इस श्रृंखला में केमिस्ट शामिल नहीं हैं, इसलिए उन्हें जमाखोरी के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।”

राजीव सिंघल ने गंभीर कोविड रोगियों के लिए जीवन रक्षक दवाओं की बड़े पैमाने पर आवश्यकता के बारे में बताते हुए कहा कि भारत में लगभग 3.75 लाख के दैनिक मामलों को ध्यान में रखते हुए, कम से कम 70,000 रोगियों को रेमेडिसविर इंजेक्शन की आवश्यकता होगी।

एआईओसीडी के महासचिव ने कहा, “जैसा कि प्रत्येक रोगी को 6 शीशियों की आवश्यकता होती है, देश को हर दिन 4 लाख से अधिक रेमेडिसविर इंजेक्शनों की आवश्यकता होगी। हमें उम्मीद है कि ज्यादातर निमार्ताओं ने अपने उत्पादन में तेजी ला दी है, रेमेडीसविर की कम आपूर्ति का संकट खत्म हो जाएगा।”

आईएएनएस

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