बिलकिस बानो मामला: 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस
नई दिल्ली | बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने की। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने दोषियों की रिहाई की अनुमति नहीं दी, बल्कि सरकार से विचार करने को कहा था।
गुजरात सरकार ने स्वतंत्रता दिवस पर इन 11 दोषियों को रिहा किया था। जिसके बाद एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। इन 11 व्यक्तियों का दोष सिद्ध होने के बाद उनको अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति रस्तोगी ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा, आजीवन कारावास की सजा के दोषियों को रिहा किया जाता रहा है, इसमें नया क्या है?
दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि मई 2022 के आदेश में केवल यह कहा गया था कि छूट देना या समय से पहले रिहाई को उस नीति के संदर्भ में माना जाना चाहिए जो उस राज्य में लागू होती है और जहां अपराध किया गया था।
पीठ ने कहा, मैंने कहीं पढ़ा है, जिसमें कहा गया कि अदालत ने दोषियों को रिहाई की अनुमति दी है। नहीं, अदालत ने केवल विचार करने के लिए कहा है।
पीठ ने बिलकिस बानो मामले में माकपा नेता सुभासिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा की याचिका पर सुनवाई की।
बिलकिस बानो के साथ हुआ था दुष्कर्म
गुजरात के गोधरा में 2002 में दंगों के बाद बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था। उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या भी कर दी गई थी। इस मामले में 11 व्यक्तियों को दोषी पाया गया था और उन्हें 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इन दोषियों में से एक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहाई पर विचार करने को कहा था। शीर्ष अदालत ने आज गुरुवार को स्पष्ट किया कि उसने दोषियों की रिहाई की अनुमति नहीं दी थी, बल्कि सरकार से केवल विचार करने को कहा था।
आईएएनएस