जब एम्बुलेंस चालक ने मांगी मोटी रकम, गरीब पिता ने मोटरसाइकिल से ढोया बच्चे का शव
तिरुपति | आंध्र प्रदेश में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक व्यक्ति ने तिरुपति के एक सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस चालक के द्वारा ज्यादा पैसे मांगने पर मजबूर होकर अपने 10 वर्षीय बेटे के शव को 90 किमी की दूरी तक मोटरसाइकिल से ले गया। मोटी रकम चुकाने में असमर्थ, उसके पिता बाइक पर ही बेटे का शव लेकर चल पड़े। बच्चे के पिता शव लेकर मोटरसाइकिल की पिछली सीट पर बैठकर 90 किलोमीटर दूर अन्नामय्या जिले के चितवेल पहुंचे।
सोमवार रात आरयूआईए के सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान खेतिहर मजदूर के बेटे जेसवा की तबीयत खराब होने से मौत हो गई। अस्पताल में एम्बुलेंस चालक ने शव को ले जाने के लिए 10,000 रुपये मांगे।
पैसे की मांग ज्यादा होने के कारण लड़के के पिता राशि का भुगतान करने में असमर्थ थे, उन्होंने अपने रिश्तेदारों को सूचित किया, जिन्होंने शव को घर लाने के लिए दूसरी एम्बुलेंस की व्यवस्था की। आरोप है कि अस्पताल में पहले एम्बुलेंस चालक ने दूसरी एम्बुलेंस चालक को शव ले जाने से मना कर दिया और जोर देकर कहा कि शव उसके ही एम्बुलेंस में जाएगा।
The poverty stricken father had no choice but to carry his child on a bike for 90 kms. This heart-wrenching tragedy is a reflection of the state of healthcare infrastructure in Andhra Pradesh which is crumbling under @ysjagan‘s administration.2/2
— N Chandrababu Naidu (@ncbn) April 26, 2022
एंबुलेंस चालक के अमानवीय रवैये से नाराज शख्स ने बच्चे के शव को मोटरसाइकिल पर रख लिया।
इस घटना से लोगों में आक्रोश फैल गया। लोगों ने दावा किया कि पहले भी इसी तरह की घटनाएं हुई हैं और अस्पताल एम्बुलेंस के चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने कहा कि अस्पताल के अधिकारियों ने उनकी एम्बुलेंस का संचालन बंद कर दिया है और लोगों को लूटने वाले निजी एम्बुलेंस ऑपरेटरों के साथ मिलीभगत कर ली है।
विपक्षी पार्टियां – तेदेपा और भाजपा के नेताओं ने अस्पताल में धरना दिया। उन्होंने घटना की जांच के लिए अस्पताल आए राजस्व मंडल अधिकारी (आरडीओ) को रोकने की कोशिश की।
इस बीच, तेदेपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घटना की निंदा की।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मेरा दिल निर्दोष छोटे जेसवा के लिए दुखी है, जिसकी तिरुपति के आरयूआईए अस्पताल में मृत्यु हो गई। उसके पिता ने अधिकारियों से एक एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की गुहार लगाई, जो नहीं मिली। मोर्चरी वैन पूरी तरह से उपेक्षित पड़े रहने के कारण निजी एम्बुलेंस प्रोवाइडरों ने बच्चे को अंतिम संस्कार के लिए घर ले जाने के लिए कहा।”
नायडू ने आगे कहा, “गरीबी से पीड़ित पिता के पास अपने बच्चे को 90 किलोमीटर तक बाइक पर ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। यह दिल दहला देने वाली त्रासदी आंध्र प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे की स्थिति को दर्शाती है, जो वाई एस जगन मोहन रेड्डी प्रशासन के तहत चरमरा रही है।”
आईएएनएस
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