अफगानिस्तान की स्थिति गंभीर, भारतीयों को निकालना सर्वोच्च प्राथमिकता : केंद्र
नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि 15 अगस्त को तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में स्थिति बहुत गंभीर है और शेष भारतीयों को निकालना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। यहां एक सर्वदलीय बैठक में विभिन्न दलों के नेताओं को जानकारी देते हुए, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, भारत अफगानिस्तान से अधिक से अधिक लोगों को निकालने की कोशिश कर रहा है और भारतीय कर्मियों को निकालना इसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
जयशंकर के अलावा, केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी भी संसद भवन में ब्रीफिंग के दौरान मौजूद थे।
जयशंकर ने नेताओं को फंसे भारतीयों और भारत आने की इच्छा रखने वाले अफगानों को निकालने के लिए ऑपरेशन देवी शक्ति के बारे में भी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारत ने युद्धग्रस्त देश की स्थिति पर इंतजार करो और देखो (वेट एंड वॉच) की नीति अपनाई है।
उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं को भारत द्वारा उठाए गए पूर्व-उपायों के बारे में नवीनतम जानकारी दी और पूर्व-उपायों के बारे में अपडेट दी, जिसमें अप्रैल 2020 में हेरात और जलालाबाद में वाणिज्य दूतावासों से भारत-आधारित कर्मियों की अस्थायी वापसी शामिल है|
उन्होंने कहा कि काबुल में गंभीर स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद, 17 अगस्त को राजदूत रुद्रेंद्र टंडन सहित सभी दूतावास कर्मियों को बाहर निकाला गया है।
विदेश मंत्री ने सर्वदलीय बैठक में 16 अगस्त को एक चौबीसों घंटे कार्यरत ‘अफगानिस्तान सेल’ की स्थापना के बारे में भी जानकारी दी, ताकि फंसे भारतीयों और अन्य अफगान नागरिकों की मदद की जा सके, जो तालिबान के डर से वहां से निकलना चाहते हैं और भारत आना चाहते हैं। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सिख और हिंदू अफगानों के लिए आपातकालीन वीजा की एक विशेष श्रेणी के तहत उन्हें निकालने को लेकर भी जयशंकर ने नेताओं को जानकारी दी।
20 से अधिक विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा संचालित ‘अफगान सेल’ ने 3,014 कॉल स्वीकार की और 7,826 व्हाट्सएप संदेशों और 3,101 ईमेल का जवाब दिया है।
निकासी के आंकड़ों को साझा करते हुए, उन्होंने बताया कि अब तक 175 दूतावास कर्मियों, 263 भारतीय नागरिकों, हिंदू और सिख समुदायों के 112 अफगान नागरिकों और अन्य यानी तीसरे देशों के 15 नागरिकों को निकाला गया है।
मंत्री ने हवाई अड्डे के पास और काबुल शहर के अंदर लगातार गोलीबारी की घटनाओं, विभिन्न समूहों द्वारा कई चौकियों का निर्माण, हवाई अड्डे पर लैंडिंग अनुमति में देरी, अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने के लिए उड़ान मंजूरी और समन्वय जैसी निकासी चुनौतियों के बारे में भी अवगत कराया, जो फिलहाल काबुल हवाई अड्डे पर बनी हुई है।
जयशंकर ने यह भी कहा कि तालिबान उनके और अमेरिका के बीच फरवरी 2020 में हुए समझौते की अनदेखी कर रहा है, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र की परिकल्पना की गई थी। काबुल में ऐसी सरकार की परिकल्पना की गई थी, जो अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करे।
राकांपा नेता शरद पवार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक के टी. आर. बालू और पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा जैसे नेता बैठक में शामिल हुए।
आईएएनएस