अमेरिकी तेल भंडार में बढ़ोतरी की खबर से कच्चे तेल के दाम में नरमी
नयी दिल्ली | अमेरिकी तेल भंडार में बढ़ोतरी की खबर और रूस से ऊर्जा आपूर्ति जारी रखे जाने के आश्वासन से शुक्रवार को विदेशी बाजार में कच्चे तेल में दाम में हल्की नरमी दिखायी दी। यूक्रेन पर रूस के हमले की घोषणा से गुरुवार को कच्चा तेल आठ साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि, कारोबार के पिछले पहर में इसमें हल्की गिरावट आयी और लंदन का ब्रेंट क्रूड 102 डॉलर प्रति बैरल तथा अमेरिकी क्रूड 95 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ।
रूस दुनिया के शीर्ष तेल उत्पादक देशों में से एक है और उस पर लगाये गये प्रतिबंधों से वैश्विक आपूर्ति प्रभावित होगी।
भारत के लिये कच्चे तेल के दाम में तेजी से अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
भारत फिलहाल अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है। अगर कच्चे तेल के दाम बढेंगे तो उससे पेट्रोज और डीजल के दाम भी बढ़ सकते हैं। इस तरह कच्चे तेल के दाम से महंगाई दर प्रभावित होती है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज (HDFC Securities) के वरिष्ठ विश्लेषक तपन पटेल ने कहा, “कच्चे तेल की कीमतें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के साथ ही बढ़ गई हैं। दाम बढ़ने से वैश्विक आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती हैं। व्यापारी और निवेशक भी नाटो की प्रतिक्रिया और रूस पर व्यापार प्रतिबंधों के संभावित प्रभाव के लिये तैयार हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, हालांकि, अमेरिकी भंडार में वृद्धि और रूस से ऊर्जा आपूर्ति के आश्वासन से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी रूक सकती है। अमेरिका के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 18 फरवरी तक के सप्ताह में उसका तेल भंडार 4.515 मिलियन बैरल था।
कैपिटलवाया ग्लोबल रिसर्च (CapitalVia Global Research) के कमोडिटीज एंड करेंसी प्रमुख क्षितिज पुरोहित ने कहा कि ब्रेंट क्रूड के दाम 105 डॉलर के आठ साल के उच्चतम स्तर से नीचे आ गये हैं और फिलहाल 97 डॉलर प्रति बैरल के पार हैं।
उन्होंने कहा कि ब्रेंट क्रूड का दाम अमेरिकी क्रूड से अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि यूरोपीय क्षेत्र की स्थिति का प्रभाव उस पर अधिक पड़ता है।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज (IIFL Securities) के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने भूराजनैतिक तनाव के कारण कच्चे तेल के दाम में तेजी बने रहने का अनुमान किया है।
आईएएनएस