सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर को कम करने के लिए दिया 2 दिन के लॉकडाउन का सुझाव

फोटो: आईएएनएस

The Hindi Post

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में भीषण वायु प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए सुझाव दिया कि यदि आवश्यक हो तो सरकार पराली जलाने, वाहनों, पटाखों के कारण बढ़े हुए प्रदूषण स्तर को नीचे लाने के लिए दो दिनों के लॉकडाउन की घोषणा कर सकती है।

शुरूआत में, मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि स्थिति बहुत खराब है। हम घरों में मास्क पहनने को मजबूर हैं। यह एक बुरी स्थिति है।

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण को कैसे नियंत्रित करें, दो दिन का लॉकडाउन या कोई और उपाय। दिल्ली में लोग कैसे रहेंगे?

विज्ञापन
विज्ञापन

मेहता ने एनसीआर (NCR) और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए तर्क शुरू किया, जिसमें कृषि पराली जलाने से निपटने के लिए उठाए गए कदम शामिल थे।

बेंच में जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और सूर्यकांत ने कहा कि किसानों को दोष देने के बजाय, सभी राज्य सरकारों और केंद्र को वायु प्रदूषण के मुद्दे को हल करने के लिए एक साथ आना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किसानों द्वारा पराली जलाना केवल 25 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, और शेष 75 प्रतिशत प्रदूषण पटाखा जलाने, वाहनों के प्रदूषण, और धूल से होता है।

विज्ञापन
विज्ञापन

मुख्य न्यायाधीश ने मेहता से कहा कि पटाखों, वाहनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी तंत्र कहां है। प्रदूषण के स्तर को देखें। जिसके जबाव में कहा गया कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस मुद्दे को हल करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमें कुछ नहीं करना है, सरकारों को ज्वलंत समाधान करने चाहिए, प्रदूषण कैसे नियंत्रण करना है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दो से तीन दिन की अल्पकालिक योजनाओं की आवश्यकता है।

मेहता ने स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि केवल किसान ही गंभीर वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बताया कि एक तरफ दिल्ली सरकार ने स्कूल खोल दिए हैं। वहीं दूसरी तरफ एम्स (AIIMS) निदेशक की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रदूषण, कोविड और डेंगू एक तिहरी मार है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा कि वह सोमवार को राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए आपातकालीन कदम उठाने के फैसले के बारे में उसे सूचित करे।

शीर्ष अदालत एक नाबालिग लड़के की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने और उच्च प्रदूषण स्तर से जुड़े अन्य कारकों के खिलाफ निर्देश देने की मांग की गई थी।

आईएएनएस

हिंदी पोस्ट अब टेलीग्राम (Telegram) और व्हाट्सप्प (WhatsApp) पर है, क्लिक करके ज्वाइन करे


The Hindi Post

You may have missed

error: Content is protected !!