मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दिया भावुक संबोधन, कहा – “अगर किसी को ठेस पहुंची हो तो…..”
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आखिरी कार्य दिवस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में विदाई समारोह आयोजित किया गया. इस दौरा मुख्य न्यायाधीश ने अपने परिवार, माता-पिता, निजी जिंदगी के साथ ही करियर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें शेयर कीं और अपने अनुभव भी सुनाए. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘हम जज के रूप में जटिल विषयों पर निर्णय देते हैं, लेकिन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे फैसलों का आम नागरिकों की जिंदगी पर क्या असर होता है.’
सीजेआई ने दिया भावुक संबोधन
अपने कार्यकाल के इस आखिरी दिन, उन्होंने अपनी न्यायिक यात्रा के लिए कृतज्ञता और विनम्रता के साथ भावनात्मक संबोधन दिया. अपने सहकर्मियों और कानूनी समुदाय से घिरे चंद्रचूड़ ने अपनी व्यक्तिगत अनुभवों और प्रशंसा को साझा किया. उन्होंने उन लोगों से माफी भी मांगी, जिन्हें अनजाने में उनकी किसी बात से ठेस पहुंची हो.
क्या बोले मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़?
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने विदाई समारोह के दौरान मिले सम्मान के लिए सभी का धन्यवाद किया. मुख्य न्यायाधीश ने अपने विदाई समारोह में अपने पिता और अपने न्यायिक अनुभवों को लेकर भावुक बातें साझा कीं. उन्होंने बताया कि उनके पिता बेहद अनुशासित थे लेकिन उन्होंने कभी अपने बच्चों पर अनुशासन नहीं थोपा. मुख्य न्यायाधीश ने बताया, “मेरे पिता ने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा था. मैंने उनसे पूछा क्यों, तो उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि वह उसमें नहीं रहेंगे. उन्होंने मुझसे कहा था कि इस फ्लैट को तब तक रखो जब तक तुम एक जज के तौर पर सेवानिवृत्त नहीं हो जाते ताकि तुम्हें पता हो कि अगर तुम्हारी नैतिकता पर कोई आंच आए, तो तुम्हारे पास सिर छुपाने की जगह होगी.”