पारसी समुदाय में कैसे किया जाता हैं शवों का अंतिम संस्कार? रतन टाटा का अंतिम संस्कार कैसे होगा?

फोटो क्रेडिट: आईएएनएस

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दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का बुधवार को मुंबई में निधन हो गया. इससे हर भारतीय दुखी हैं. आज उनका अंतिम संस्कार मुंबई के वर्ली में शाम 4 बजे किया जाएगा.

आपको बता दे कि रतन टाटा पारसी समुदाय से थे. इसलिए आपका लगेगा कि उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति-रिवाज से किया जाएगा पर ऐसा नहीं होगा. उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से होगा. उनका अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में किया जाएगा. अंतिम संस्कार से पहले करीब 45 मिनट तक उनके लिए प्रेयर की जाएगी.

अब आपको बताते हैं कि पारसी लोग कैसे करते हैं शव का अंतिम संस्कार

पारसी लोग न हिंदुओं की तरह न जलाते हैं और न मुस्लिमों की तरह दफनाते हैं. दरअसल इस समुदाय का मानना है कि इंसानी शरीर प्रकृति का दिया वह तोहफा है जिसे मौत के बाद उसे वापस लौटाना होता है. इसलिए मृत शरीर को टॉवर ऑफ साइलेंस में रख दिया जाता है. जिसके बाद शव को गिद्ध के हवाले कर दिया जाता है.

क्या होता है टावर ऑफ साइलेंस?

पारसी समुदाय के लोग अपनों के मृत शरीर को इसी प्रकृति की गोद में छोड़ देते हैं. इसे ये लोग दखमा कहते हैं. इस समुदाय में यह प्रथा सदियों पुरानी है. टावर ऑफ साइलेंस में इस मृत शरीर को गिद्ध खा जाते हैं. लेकिन नई पीढ़ी के पारसी अंतिम संस्कार की इस प्रथा को बहुत ज्यादा नहीं मानते. हालांकि रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारसी समुदाय के बनाए गए विद्युत शवदाह गृह में किया जाना है.

 

टावर ऑफ साइलेंस की तस्वीर (फोटो: ट्विटर)

 

 


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