चुनावी बॉन्ड: इस राजनीतिक पार्टी का अजब-गजब दावा, कहा – “कोई हमारे ऑफिस आया था और वहां छोड़ गया था 10 करोड़ रूपए…”, इन दलों ने कहा -“किसी से भी इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं मिले…”

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चुनाव आयोग द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड (राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाला चंदा) से संबंधित जानकारी सार्वजनिक की जा चुकी है. ऐसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुआ है.

इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा से यह पता चलता है कि किस पार्टी को कितना चंदा मिला.

आपको बता दे कि चुनावी बांड के माध्यम से भाजपा को 6,986.5 करोड़ रुपये मिले है. दरअसल, सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी को ही मिला है. दूसरे नंबर पर ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस है जिसे 1397 करोड़ रुपये मिले.

कांग्रेस ने चुनावी बांड के जरिए कुल 1334.35 करोड़ रुपये भुनाए. के. चंद्रशेखर राव की पार्टी – बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) ने 1322 करोड़ रुपये के बांड भुनाए.

ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी – बीजेडी को 944.5 करोड़ रुपये मिले. आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने करीब 442.8 करोड़ रुपये के बांड भुनाए.

बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी – JD(U) को भी इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा मिला है. पर JD(U) ने एक अजीब दावा किया.

जदयू (JD-U) का कहना है कि उसे दफ्तर में एक ऐसा लिफाफा मिला, जिसमें 10 करोड़ रुपए के बॉन्ड थे.

JD(U) ने कहा, “हमें न तो दानदाताओं के विवरण की जानकारी है और न ही हमने जानने की कोशिश की. कोई हमारे ऑफिस में आया था. उसने एक सीलबंद लिफाफा दिया था. जब उस लिफाफे को खोला गया तो हमें एक करोड़ रुपये के 10 चुनावी बॉन्ड मिले. हमने पटना की SBI ब्रांच में एक अकाउंट खोला ओर ये बॉन्ड उसमें जमा करा दिए.

वही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस ने कहा कि उन्हें इलेक्टोरल/चुनावी बॉन्ड मिले ही नहीं.

हिंदी पोस्ट वेब डेस्क
(इनपुट्स: आईएएनएस)

 


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